Sat. Nov 23rd, 2024
    एम पी वीरेंद्र कुमार

    एम पी वीरेंदर कुमार का उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। इस बात की पुष्टि खुद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने की। वेंकैया नायडू ने कहा कि वीरेंदर ने व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा था जिसे आज उन्होंने स्वीकार कर लिया है।

    कुमार का अभी कार्यकाल 2022 तक के लिए शेष था। इस समय वो राजयसभा के सदस्य थे। इस्तीफे की मुख्य वजह कुमार और नीतीश के बीच मतभेदों को बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि जेडीयू-बीजेपी के गठबंधन से कुमार काफी दुखी थे।

    कुमार ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपना इस्तीफा नियम के अनुसार दिया है। कुमार ने यह भी कहा कि वो नितीश कुमार के पार्टी के नेता है और इसलिए इस समय उन्हें नितीश के साथ होना चाहिए था लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री संघ के अजेंडे को फॉलो कर रहे है इसलिए अब वो नितीश के साथ और नहीं रह सकते है।

    गौर करने वाली बात है कि नितीश के महागठबंधन (कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू) से अलग होते ही कई राजनेताओं ने बागी तेवर अपना लिया था। विरोध में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। शरद यादव की अगुवाई में कुमार सहित अन्य नेताओं ने भी नितीश के इस्तीफे का विरोध किया था।

    कुमार के अलग होते ही एक बार फिर नितीश और महागठबंधन पर चर्चा तेज हो गयी है। एक बार फिर लोग इस बात पर बहस करने लगे है कि लालू से अलग होने का फैसला नितीश के लिए सही था या नहीं। आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में इस बात का पता लग जाएगा कि बिहार में क्या नितीश लालू के बिना भी अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो पाएंगे।