एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यमन के हुथी विद्रोहियों से 10 पत्रकारों को रिहा करने की मांग की है जो उनके कैद में पिछले चार वर्षों से कैद है। पत्रकारों को जासूसी के लिए गिरफ्तार किया गया था।
ईरान के सहयोगी हुथी समूह ने अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त यमन की सरकार को साल 2014 में सत्ता से बेदखल कर दिया था। सऊदी के नेतृत्व वाले सुन्नी गठबंधन ने साल 2015 में यमन में दखलंदाज़ी की थी और रब्बू मंसूर हादी की सरकार को बहाल करने का प्रयास किया था।
एमनेस्टी ने कहा कि साल 2015 की गर्मियों से 10 पत्रकारों को वहां रखा गया है और उन पर दिसंबर 2018 में आधिकरिक तौर पर आरोप लगाया गया था। इसमे जासूसी और गठबंधन को मदद मुहैया करने के आरोप थे। यह एक विशेष अदालत ने लगाए थे जो आतंकवाद संबंधित मामलों को देखते हैं।
यमन में एमनेस्टी की रिसर्चर रेशा मोहमद ने कहा कि “यह बेहद अपमानजनक है कि इन व्यक्तियों को अपनी ड्यूटी करने के लिए मौत की सज़ा मिलेगी। उनके खिलाफ आरोप झूठे हैं और इन्हें तत्काल रिहा कर देना चाहिए।”
कुछ पत्रकार ऑनलाइन न्यूज़ का काम करते हैं जो इस्लाह पार्टी से जुड़ा होता है और हादी सरकार का भाग है। उनमें से नौ लोगो को सना के होटल में रेड के दौरान गिरफ्तार किया गया था। जबकि एक आदमी को हुथी सेना ने घर से गिरफ्तार किया था। हालांकि सुनवाई की शुरुआत की कोई स्पष्टता नही है। एमनेस्टी ने कहा कि उन लोगो को कैद में रखा गया है और वह स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। हुथी सुप्रीम रेवोल्यूशनरी कमिटी के प्रमुख ने कहा कि इन दावों की कोई सच्चाई नही है। उन्हें सबूत मुहैया कर लेने दीजिए कि वे व्यक्ति उपस्थित थे और वे सभी पत्रकार है।
चार वर्षों के संघर्ष के लिए दक्षिणपंथी समुदाय ने सभी पक्षो को जिम्मेदार ठहराया था। यमन में सऊदी अरब और ईरान के बीच प्रॉक्सी जंग जारी है जिसमे हज़ारों लोगों की हत्या की गई है और कई लोगो की भुखमरी के कारण मौत हो गयी है।