रोहित शर्मा जब 2013 में अतंरराष्ट्रीय क्रिकेट में लौटे थे तो उनकी हार चाल पर सवाल उठ रहे थे, वह उस समय मध्य-क्रम में बल्लेबाजी करते थे और उन्होने उस क्रम में कुछ ही आकर्षक पारिया खेली थी और उनका करियर भी उनके साथ-साथ चल रहा था। हां, उनके पास प्रतिभा और क्षमता थी, लेकिन लंबे समय के बाद वापसी कर रहे शर्मा के लिए उनकी वापसी कुछ खास नही थी।
और तब एमएस धोनी पर्याप्त थे। उन्होने रोहित के करियर में उछाल भरी और उन्हें वनडे अंतरराष्ट्रीय मैचो में नई गेंद से खेलने को कहा और उन्हे टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करने का मौका दिया। रोहित ने टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करते हुए अपनी प्रतिभा दिखाई औऱ उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नही देखा। एकदिवसीय मैचों में बहुत ही औसत संख्या से मंथन करने से, वह इस प्रारूप में शायद अब सबसे अच्छे ओपनर बन गए हैं। स्वर्ग में बनाया गया एक मैच, और राइट-हैंडर वर्षों से एकदिवसीय मैचों में भारत के अद्भुत रन का प्रमुख बल रहा है।
वनडे मैचो में ओपनिंग करते हुए उनके औसत में 53.21 प्रतिशत वृद्धि हुई है। ऐसा उनका दबदबा रहा है कि अपनी पिछली 49 पारियो में उन्होने हर 2 पारी में एक अर्धशतक लगाया है और हर चार पारी के बाद एक शतक। एक ओपनर के रूप में उनकी औसत 58.32 की रही है जो की इस समय 5000 रन बनाने वाले ओपनरो की सूची में सबसे अधिक है।
उनकी पारी एक सेट टेमपलेट रही है- पहले वह नई गेंद को परखते है और फिर धीरे-धीरे गेंद के खिलाफ खुलते है और फिर पारी के अंत तक क्रीज पर जमकर आक्रमक स्ट्रोक खेलते है। एक सालामी बल्लेबाज के रूप में उनका रूपांनतर रेट 42.55 प्रतिशत है जो की दक्षिण-अफ्रीका के पूर्व ओपनर बल्लेबाज हर्शल गिब्बस के बाद दूसरे स्थान पर आते है।