दक्षिण-अफ्रीका के खिलाफ भारत के पहले विश्वकप मैच में एमएस धोनी अपने विकेटकीपिंग दस्तानो में बलिदान बैज के चिह्न के साथ दिखे जो की भारतीय पैरा स्पेशल फोर्स का एक चिह्न है। धोनी का यह कदम आईसीसी को बिलकुल पसंद नही आय़ा और उन्होने बीसीसीआई से अनुरोध करते हुए इसे हटाने को कहा।
जैसे की आईसीसी ने अब एमएस धोनी को अगले मैच में इस दस्ताने के साथ विकेटकीपिंग करने के लिए माना किया है लेकिन पूरा देश ऐसे में धोनी के साथ खड़ा है। जिसमेंं अब 2011 विश्वकप विजेता टीम के सदस्य गौतम गंभीर ने आईसीसी के इस फैसले के लिए उनको लताड़ लगाई है।
गंभीर ने कहा कि आईसीसी का काम क्रिकेट चलाना है और दस्ताने पर लोगो को देखना नही। उन्होने टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत के दौरान कहा, ” आईसीसी का काम क्रिकेट को सही तरीके से चलाना है, न कि यह देखना कि यह की किसने हाथ में क्या पहना है।”
गंभीर ने नवंबर 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था, उन्होंने कहा कि आईसीसी को गेंदबाजों के लिए उपयुक्त परिस्थितियों को बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और बल्लेबाजों के लिए अनूकुल पिचों का पक्ष नहीं लेना चाहिए।
गंभीर जो क्रिकेट से अब राजनीति में कदम रख चुके है उन्होने कहा, ” आईसीसी को इस बात पर गौर करना चाहिए कि हमारे पास कुल 300-400 रन नहीं होने चाहिए। आईसीसी का काम गेंदबाजों के लिए पिचें उपलब्ध कराना और बल्लेबाजों के लिए हर शर्त को सही नहीं बनाना होना चाहिए। पूरे चिह्न के मुद्दे को अनावश्यक रूप से महत्व दिया जा रहा है।”
आईसीसी ने धोनी को अपने कपड़ों और उपकरणों के नियमों के जी1 क्लॉज का उल्लंघन करते हुए पाया – जिसमें कहा गया है – “खिलाड़ियों और टीम के अधिकारियों को कपड़े या उपकरण से चिपकाए गए हाथ या अन्य वस्तुओं के माध्यम से संदेश भेजने, प्रदर्शित करने या अन्यथा संदेश देने की अनुमति नहीं होगी। जब तक खिलाड़ी या टीम के अधिकारी के बोर्ड और आईसीसी क्रिकेट संचालन विभाग दोनों द्वारा अग्रिम में अनुमोदित नहीं किया जाता है। राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय गतिविधियों या कारणों से संबंधित संदेशों के लिए स्वीकृति नहीं दी जाएगी।”