फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स की ग्रे सूची में पाकिस्तान शामिल रहेगा। यह एक सरकारी संस्था है जो आतंकियों के वित्तपोषण और अन्य मामलों पर कार्रवाई करती है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने इस्लामाबाद को इस फेरहिस्त में रखने के लिए काफी मशक्कत की थी।
एफएटीएफ की बैठक पेरिस में आयोजित हुई थी, जिसमे 38 सदस्य देश है। एफएटीएफ ने बयान जारी कर कहा कि “तय समयसीमा में सीमित प्रगति ही हुई है। उन्होंने पाकिस्तान से दरख्वास्त की कि वह अपने एक्शन प्लान को जल्द ही पूरा करें, वो भी मई 2019 की समयसीमा में इसे समाप्त कर दे।”
आतंकी वित्तपोषण रोकने में नाकाम
सूत्रों के मुताबिक “आतंकियों की वित्तीय सहायता पर पाबन्दी लगाने की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता की इस वर्ष जून और अक्टूबर में समीक्षा की जाएगी। अगर प्रधानमंत्री इमरान खान का देश अपने लक्ष्य को भेद नहीं पाया तो उसे ब्लैकलिस्ट में डाल दिया जायेगा।”
पाकिस्तान को बीते सूची में शामिल किया गया था और इस बैठक में उसके बाहर निकलने की आशा कम ही दिखाई देती है। सूत्र ने कहा कि “इस अभिलेख से भारत पड़ोसी मुल्क के आतंकवाद के साथ का खुलासा करेगी और पाकिस्तान पर दबाव बनाएगी।”
गंभीर नहीं पाक
एफएटीएफ के मुख्यालय पेरिस के सम्बंधित एक सूत्र ने कहा कि “कैसे पाकिस्तानी विभाग जैश ए मोहम्मद को फंड मुहैया कर सकती है, जिसने बीते हफ्ते सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी जिम्मेदारी ली है।
एफएटीएफ से ब्लैकलिस्ट होने का मतलब, देश विश्व के साथ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद से लड़ने के लिए गंभीर नहीं हैं। इस्लामाबाद पर भी काफी कर्ज का भार है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इसकेलिए कई देशों का भ्रमण कर चुके हैं। वह आईएमएफ से बैलआउट पैकेज के लिए भी बातचीत कर रहे हैं।
ब्लैकलिस्ट होने से पाकिस्तान पर वित्तीय समस्याओं का पहाड़ टूट सकता है। आगामी निवेश और सहायता मुश्किल में आ सकती है। यह मुल्क को गंभीर नकदी संकट की तरफ धकेल सकता है।
आईएमएफ अध्यक्ष में अपने बयान में कहा कि पाकिस्तान प्रधानमंत्री से सहायता कार्यक्रम मुलाकात सफल रही। उन्होंने कहा कि “मैं दोहराती हूँ कि आईएमएफ पाकिस्तान की मदद को तैयार है। मैं यह रेखांकित करना चाहती हूँ कि निर्णायक नीतियां और आर्थिक सुधार के लिए मज़बूत पैकेज पाक के आर्थिक सुधार को वापस पटरी पर ले आएगा और यह एक समावेशी और मज़बूत वृद्धि की नींव रखेगा।