विषय-सूचि
हम जानते हैं कि सूचना का आदान प्रदान एक मूलभूत क्रिया है। संचार यानि किसी भी इनफार्मेशन या संदेश को बोधगम्य रूप में एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना है।
आज अधिक दूरी पर इनफार्मेशन को भेजने के लिए इलेक्ट्रिक सिग्नल का उपयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में पहले सूचना को इलेक्ट्रिक संकेतों में परिवर्तित किया जाता है और फिर उसे आगे भेजा जाता है।
ऐसे ही दो सिंग्नल का इस्तेमाल किया जाता है:
1. एनालॉग सिग्नल।
2. डिजिटल सिग्नल।
हालांकि एनालॉग और डिजिटल दोनो का ही इस्तेमाल विद्युत सिगनलों के जरिये सूचना को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने के लिए किया जाता है। लेकिन, दोनों में बेसिक डिफरेंस यह है कि एनालॉग में सूचना विद्युत स्पंदनों के जरिये आती है वहीं पर दूसरी ओर डिजिटल तकनीक में यही सूचना बाइनरी फॉर्मेट (0 या 1) में बदली जाती है।
उदाहरण:- कंप्यूटर डिजिटल है और पुराने मैग्नेटिक टेप्स एनालॉग है।
एनालॉग में एनालॉग सिंग्नलो का उपयोग किया जाता है जो निरंतर होते है वही पर डिजिटल में डिजिटल सिंग्नलो का उपयोग किया जाता है जो डिस्क्रीट यानी विविक्त होते हैं।
आखिर कैसे दर्ज होता है संदेश?
एनालॉग में वास्तविक आवाज़ या चित्र अंकित होता है जबकि डिजिटल में वही बाइनरी संकेत होता है जिसे चलाने के बाद वह आवाज या चित्र में परिवर्तित होता है।
एनालॉग और डिजिटल में अंतर (difference between analog and digital in hindi)
एनालॉग टेप्स और डिजिटल सीडी में अंतर:
एनालॉग टेप लीनियर होता है, आसान भाषा मे कहें तो यदि आपको कोई गीत सुन्ना है और वह टेप में 14वे मिनट पर आता है तो आपको टेप चलाकर 13 मिनट 59 सेकंड पार करने होंगे उससे पहले आप वह गीत नही सुन सकते या 14वे मिनट पर नही जा सकते। वहीं पर डिजिटल सीडी में आप सीधा 14वे मिनट पर जाकर अपना पसंदीदा गाना सुन सकते हैं।
एनालॉग और डिजिटल की गुणवत्ता के आधार पर:
डिजिटल डिवाइस डेटा का अनुवाद या पुनः उपयोग कर सकते हैं और वो भी बिना किसी क्वालिटी डैमेज के लेकिन एनालॉग उपकरणों में गुणवत्ता के नुकसान की संभावनाएं अधिक होती है।
जैसे एक मैग्नेटिक टेप से अगर दूसरे टेप में कुछ डाला जाता है तो उसकी क्वालिटी लेस हो जाती है लेकिन डिजिटल में ऐसा कुछ नही होता।
उपकरणों के आधार पर एनालॉग और डिजिटल में फर्क:
एनालॉग तकनीक सस्ती(चीप) मानी जाती है। इसमें डेटा के आकार की एक लिमिट है जिसे किसी दिए गए समय या निर्धारित समय तक ही ट्रांसमिटेड किया जा सकता है। माइक्रोफोन और स्पीकर एनालॉग उपकरणों के सही उदाहरण है।
डिजिटल टेक्नोलॉजी ने ज्यादातर उपकरणों के काम के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किया है। चूंकि इसमे आसानी से छेड़छाड़, बदलाव किया जा सकता है। डिजिटल में हमारे पास ज्यादा विकल्प होते है। इसीलिए डिजिटल उपकरण एनालॉग उपकरणों की तुलना में अधिक महँगे होते हैं।
डिजिटल संचार और एनालॉग संचार में अंतर (difference between analog and digital communication in hindi)
- सिंक्रोनाइजेशन (synchronization)
डिजिटल संचार सिंक्रोनाइजेशन निर्धारित करने के लिए विशिष्ट सिंक्रोनाइजेशन सीक्वेंस का उपयोग करता है।
- भाषा (language)
डिजिटल संचार में एक ऐसी भाषा की आवश्यकता होती है जो प्रेषक और प्राप्तकर्ता दोनों के पास हो।
- त्रुटिया (errors)
एनालॉग संचार में गड़बड़ी संचार में त्रुटियों का कारण बनती है लेकिन डिजिटल में हम त्रुटियो को व्यक्त करने के लिए प्रतीकों को प्रतिस्थापित, डालने या हटाने में सक्षम होते हैं।
- बैंडविड्थ (Bandwidth)
एनालॉग सिग्नल प्रोसेसिंग वास्तविक समय में की जा सकती है और यह कम बैंडविड्थ का उपभोग करती है। लेकिन, डिजिटल में इस बात की कोई गारंटी नही होती है कि डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग वास्तविक समय मे की जा सकती है या नही।
और उसी जानकारी को पूरा करने के लिए यह ज्यादा बैंडविड्थ का उपभोग करती है।
- सिग्नल (signal)
एनालॉग सिग्नल एक निरंतर संकेत है जो फिजिकल मेज़रमेंट को रिप्रेजेंट करता है।
डिजिटल सिग्नल डिजिटल मॉडयूलेशन द्वारा अपना सतत समय संकेत है।
एनालॉग सिग्नल और डिजिटल सिग्नल के फायदे (benefits of analog and digital signal in hindi)
एनालॉग सिग्नल का फायदा यह है कि यह एनालॉग रूप में है जिसे हम अपने करने के साथ ध्वनि मानते हैं।
एनालॉग ऑडियो कैसेट की क्षमता केवल 700-1.1 एमबी है जबकि एक नियमित कॉम्पैक्ट डिस्क(सीडी) 700 एमबी रख सकता है।
डिजीटल सिग्नल के लिए एनालॉग सिग्नल की तुलना में लंबी दूरी पर संचार करना अधिक कठिन होता है, इसलिये ट्रांसमीटर पक्ष पर पूर्व मॉडयूल किया जाता है और जानकारी के रिसीवर पक्ष पर demodulate किया जाता है।
एनालॉग बाहर के प्रभाव या घुसपैठ से पहले पूर्ण रक्षाहीनता प्रदर्शित करता है। वही पर डिजिटल में संदेश एन्क्रिप्टेड रूप में प्रेषित होता है जो किसी भी हस्तक्षेप को बाहर रखता है।
एनालॉग सिग्नल | डिजिटल सिग्नल | |
माध्यम
| सूचना विद्युत स्पंदनों के ज़रिए आती है। | सूचना बाइनरी फॉर्मेट(0 और 1) में बदली जाती है। |
गुणवत्ता | डेटा के अनुवाद या पुनः उपयोग पर क्वालिटी डैमेज का खतरा रहता है। | डिजिटल में यह खतरा नहीं होता। |
डेटा का आकार
| डेटा के आकार की एक लिमिट होती है या निर्धारित समय तक ही ट्रांसमीट किया जा सकता है।
| आसानी से फेरबदल किया जा सकता है व इसमे ज्यादा विकल्प होते हैं। |
उपकरण | एनालॉग तकनीक सस्ती मानी जाती है। | डिजिटल उपकरण एनालॉग की तुलना में महँगे होते हैं। |
त्रुटियां(errors) | एनालॉग संचार में गड़बड़ी संचार में त्रुटियां उत्पन्न करती है। | त्रुटियों को व्यक्त करने के लिए हम प्रतीकों को प्रतिस्थापित, डालने या हटाने में सक्षम होते हैं। |
बैंडविड्थ(bandwidth) | एनालॉग सिग्नल प्रोसेसिंग कम बैंडविड्थ का उपभोग करती है। | डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग ज्यादा बैंडविड्थ का उपभोग करती है। |
क्षमता | एनालॉग ऑडियो कैसेट की क्षमता 700-1.1 एमबी होती है। | नियमित सीडी की क्षमता 700एमबी तक होती है। |
सुरक्षा | एनालॉग बाहर के प्रभाव से खुदको नही बचा पाता। | संदेश के एन्क्रिप्टेड होने से यह एक सुरक्षित माध्यम है |
इस्तेमाल | केवल एनालॉग डिवाइस में ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। | डिजिटल सिंगनल्स का उपयोग कंप्यूटिंग और डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए सबसे ज्यादा उपयुक्त है। |
आख़िरकार हम टीवी, रेडियो, सीडी, कंप्यूटर, टेलीफोन, मल्टीवर्क और अन्य के बारे में बात कर रहे हैं।
आज से कुछ सालों पहले तक किसी ने सोचा भी नही था कि प्रत्येक कुशल डिवाइस में किस प्रकार का सिग्नल उपयोग किया जाता है। लेकिन आज हम ‘एनालॉग’ और ‘डिजिटल’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल व उनके बारे में पढ़ने, सुनने और जानने लगे हैं।
इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।
Very nice
Very easy language
Bhut acha btaya h
thanks and very nice
thanks very good
explained very well !
कृपया हमें बताने का कष्ट करे की एनलॉग सिग्नल क्या अब पूरी तरह से बंद कर दिए गए है या किसी प्रसारण में आज भी चल रहा है।
nice information thanks sir