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    नई दिल्ली, 22 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में स्ट्रैंग्थ एवं कंडिशनिंग कोच के पद के लिए आने वाले उम्मीदवारों का इंटरव्यू दो बड़े जिम इंस्ट्रक्टर्स लेंगे। कोलकाता में इंडरेफिंस जिम के मालिक राणादीप मोइत्रा और रीबॉक की पूर्व मास्टर ट्रेनर (उत्तरी भारत) निशा वर्मा को उम्मीदवारों के इंटरव्यू लेने के लिए चुना गया है।

    इन दोनों के अलावा एनसीए के सीओओ तूफान घोष और प्रशासकों की समिति (सीओए) की सदस्य डायना इडुल्जी भी मौजूद होंगे।

    भारतीय टीम के ट्रेनर शंकर बासु ने हितों के टकराव का तर्क देकर अपने आप को इस पैनल से अलग कर लिया और यहां मोइत्रा को पैनल में शामिल किया गया। लेकिन एक हैरान करने वाली बात यह है कि भारत के पूर्व स्ट्रैंग्थ एवं कंडिशनिंग कोच का बीते एक दशक से क्रिकेट से कोई लेना देना नहीं है। वह 2003 से 2005 तक भारतीय टीम के साथ रहे थे।

    आईएएनएस ने जब इस मामले की तह में जाने की कोशिश की तो पता चला कि इसके पीछे कारण यह था कि कोई ऐसा शख्स पैनल में न हो जो सीधे तौर पर बीसीसीआई से जुड़ा हो क्योंकि फिर हितों के टकराव की बात आ जाएगी। लेकिन फिर भी कई ऐसे पूर्व भारतीय ट्रेनर थे जो सीधे बोर्ड से जु़ड़े नहीं रहे और उन्हें पैनल में शामिल किया जा सकता था। इनमें रामजी श्रीनिवासन, वी.पी. सुदर्शन, रजनीकांत, अमोक पंडित और चिन्मॉय रॉय के नाम शामिल हैं।

    ये लोग न सिर्फ हितों के टकराव के मुद्दे से बाहर हैं साथ ही यह मोइत्रा के जाने के बाद से भारतीय टीम और इंडिया-ए टीम से जुड़े रहे थे।

    रामजी ने आईएएनएस से मुद्दे पर ज्यादा बात करने से मना कर दिया लेकिन इतना कहा कि युवा खिलाड़ियों और भारत का भविष्य दांव पर है इसलिए बोर्ड को सावधानी से अपने फैसले लेने चाहिए।

    उन्होंने कहा, “मैं इस स्थिति में नहीं हूं कि यह बता सकूं कि पैनल में कौन होगा कौन नहीं। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि भारतीय खिलाड़ियों का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन एनसीए में स्ट्रैंग्थ एंड कंडिशनिगं कोच है। इसलिए हमें पूरी प्रक्रिया को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है।”

    रामजी की बात को बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी का साथ मिला जिन्होंने कहा कि हालिया दौर में पेशेवर तंत्र में पारदर्शिता कहीं गायब हो गई है हालांकि इसे बनाए रखने के दावे किए जाते रहे हैं। उन्होंने साथ ही इस बात पर भी सवाल उठाए की एनसीए ट्रेनर्स की नियुक्ति के मामले की जानकारी राज्य संघों को क्यों नहीं है?

    उन्होंने कहा, “कोई भी चाहे इस बात को मानने से इनकार कर दे लेकिन हकीकत यही है कि जमीनी स्तर पर क्रिकेट राज्य संघों के द्वारा चलाई जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि जो ट्रेनर्स और फिजियोथैरेपिस्ट क्रिकेट से जुड़े हैं वो राज्य संघों से भी जुड़े रहें।”

    अधिकारी ने कहा, “जब बीसीसीआई एनसीए के माध्यम से कोई कैम्प लगाती है तो राज्य संघ के जो ट्रेनर तथा फिजियो होते हैं उनकी सहायता शिविर में ली जाती है। इस तरह की कोई खबर भी नहीं है कि एनसीए में ट्रेनर्स की भर्ती प्रक्रिया जारी है। यह जानकारी बीसीसीआई की वेबसाइट के किसी छोटे से कोने में हो सकती है, लेकिन इसके बारे में काफी कम लोगों को पता है।”

    उन्होंने कहा, “राज्य संघों को इसके बारे में नहीं पता, अधिकारियों को इसके बारे में नहीं पता, राज्य संघों से जुड़े ट्रेनर्स को इसके बारे में नहीं पता कि क्या हो रहा है?”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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