IL&FS की घटना के बाद से ही दबाव में चल रहे एनबीएफ़सी (नॉन बैंकिंग फ़ाइनेंस कंपनीज़) सेक्टर की मदद करने के लिए अब भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई आगे आ गया है।
एनबीएफ़सी सेक्टर अभी अपनी संपत्ति और दायित्व (असेट और लायबिलिटी) के बीच भरी असंतुलन से जूझ रहा है, ऐसे में इस सेक्टर की लिक्विडिटी भी प्रभावित हुई है।
इसी के तहत आरबीआई न आगे आकार सभी बैंको को मिलकर एनबीएफ़सी सेक्टर को करीब 50,000 करोड़ का ऋण देने की स्वीकृती दी है। इसके पहले एसबीआई ने भी इस सेक्टर कि मदद करने का प्रस्ताव सामने रखा था।
आरबीआई का यह कदम शेयर बाज़ार में एनबीएफ़सी सेक्टर को बचाने के लिए उठाया गया है, आरबीआई ने अपनी रणनीति अमेरिकी बाज़ार की तर्ज़ में बनाई है। मालूम हो कि घाटे में चल रहे एनबीएफ़सी सेक्टर के शेयर करीब 3 से 17 प्रतिशत तक नीचे आ गए हैं। इसके पहले आरबीआई ने एनबीएफ़सी सेक्टर पर अपनी पैनी नज़र बनाए रखने का फैसला किया था।
एनबीएफ़सी सेक्टर में इस तरह के माहौल के बाद प्रभावित लिक्विडिटी और संपत्ति व दायित्व में असंतुलन के चलते इस सेक्टर के लिए अल्पकालिक लोन और दीर्घकालिक निवेश में काफी मुश्किल पैदा हो गयी है।
इसी के चलते आरबीआई का ये कदम अब एनबीएफ़सी सेक्टर को लंबे समय के लिए बाज़ार में टिकाये रखने में मदद करेगा। एनबीएफ़सी सेक्टर में आए भूचाल के बाद भी बहुत सी एनबीएफ़सी कंपनियां जैसे एचडीएफ़सी आदि ने खुद को सुरक्षित रखा है।