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    भारत की एनएसजी में प्रवेश

    परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत के प्रवेश में चीन का अड़ंगा शुरुआत से ही लगा हुआ है। चीन ने गुरूवार को कहा कि भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में प्रवेश के लिए अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने होंगे। चीन ने कहा कि नई दिल्ली के प्रवेश के ल्लिये इत्मीनान से वार्ता जरुरी है।

    एनएसजी समूह में 48 वें सदस्य के तौर पर प्रवेश के लिए भारत के मार्ग पर चीन हमेशा अड़ंगा लगाये रखता है। चीन के मुताबिक भारत ने अभी तक अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नही किये हैं, जबकि अन्य पी-5 देश भारत अप्रसार रिकॉर्ड को देखते हुए नई दिल्ली का समर्थन करते हैं।

    संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ही पी-5 के नाम से जानते हैं। पत्रकारों को संबोधित करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि सदस्य देशों के सफलतापूर्वक सम्मेलन के अंत में संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाये रखने के महत्वपूर्ण निर्णय पर पंहुचे हैं।

    उन्होंने कहा कि “हम अप्रसार संधि को बनाये रखेंगे। अंतर्राष्ट्रीय अप्रसार प्रणाली में इसकी महत्वता को रेखांकित करते हैं और यह अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण तत्व है। हम वादा करते हैं कि एनपीटी को पूरी तरह और व्यापकता से लागू करेंगे और अपने परमाणु हथियार मुक्त विश्व का लक्ष्य का एहसास कराएँगे। परमाणु अप्रसार मसले का समाधान करने के लिए कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर अपना सर्वश्रेष्ठ देंगे, ताकि अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल शांतिपूर्ण हो।”

    एनएसजी में नए देश के प्रवेश के लिए चीन के टू-स्टेप फार्मूला में बदलाव के सवाल पर गेंग शुआंग ने कहा कि “हम सभी देशों को गैर परमाणु हथियार राज्य बनने का आग्रह करते हैं। भारत के एनएसजी में प्रवेश के आवेदन पर उन्होंने कहा कि सभी देशों के साथ शांतिपूर्वक बातचीत जरुरी है।”

    भारत ने जब एनएसजी की स्थायी सदस्यता के लिए आवेदन किया था, उसी दौरान चीन के ख़ास दोस्त पाकिस्तान ने भी इसी के लिए आवेदन किया था। एनएसजी के सदस्यों को पहले आवेदनकर्ताओं को प्रवेश के सिद्धांतों के बाबत बताना होता है और इसके बाद विशिष्ट मामलों पर चर्चा को आगे बढाया जाता है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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