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    एनएसजी भारत चीन रूस

    हाल ही में रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए समर्थन किया था। अब इस पर चीन की तरफ से भी बयान आया है। चीन का कहना है कि एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर उसके रूख में कोई परिवर्तन नहीं आया है।

    इससे चीन ने स्पष्ट संकेत दे दिए है कि वो भविष्य में भी भारत के एनएसजी में शामिल होने पर अडंगा व रूकावट बनता रहेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव की टिप्पणी किए जाने के बाद अपने बयान में कहा कि एनएसजी में भारत को लेकर उनके स्टैंड में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इस पर चीन की स्थिति अभी भी अपरिवर्तनीय है।

    गेंग शुआंग ने आगे कहा कि चीन इस मुद्दे पर निपटने के लिए पारदर्शी और निष्पक्ष अंतरसरकारी प्रक्रिया के जरिए परामर्श के माध्यम से सर्वसम्मति के सिद्धांत अपनाते हुए एनएसजी का समर्थन करता है।

    चीन ने रूस के मंत्री के बयान के बाद अपनी स्थिति को वापिस से स्पष्ट करते हुए भारत को झटका दिया है। रूस के समर्थन के बाद भारत को आशा थी कि चीन एनएसजी को लेकर अपने रूख में परिवर्तन कर सकता है।

    लेकिन हकीकत में चीन ने पहले वाला ही रूख अख्तियार कर रखा है। चीन ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि जब तक भारत परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करता है वो एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन नहीं करेगा।

    एनपीटी पर हस्ताक्षर के बिना भारत का समर्थन नहीं

    चीन के इस रवैये के कारण एनएसजी में भारत की सदस्यता अटकी हुई है। एनएसजी सर्वसम्मति के सिद्धांत पर काम करती है। चीन भी इसका सदस्य है सिर्फ वो ही भारत के रास्ते में रूकावट पैदा कर रहा है।

    गेंग शुआंग ने कहा कि उनका फोकस कुछ गैर-एनपीटी देशों पर है, जो परमाणु हथियारो मुक्त देशों की क्षमता में समूह में शामिल होने की आशा रखते है।

    गेंग ने स्पष्ट किया कि जब तक एनपीटी पर भारत हस्ताक्षर नहीं करेगा वो सदस्यता नहीं ले सकता है। बिना इस पर हस्ताक्षर के एनएसजी में भारत की सदस्यता का समर्थन करना नियमों का उल्लंघन होगा।

    गौरतलब है कि भारत को एनएसजी पर रूस का समर्थन है जबकि पाकिस्तान को चीन का समर्थन है। पाकिस्तान के वैज्ञानिक ए क्यू खान द्वारा परमाणु प्रौद्योगिकी के प्रसार के गंभीर आरोपों के बावजूद पाकिस्तान का आवेदन एनएसजी के लिए आया है और उस पर चीन समर्थन दे रहा है। जबकि भारत एनएसजी के सभी नियमों के तहत आवेदन करता है।