उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि चीनी उत्पादन में पिछले 70 सालों से यूपी आगे है। अब एथनॉल आपूर्ति में अपना प्रदेश अन्य राज्यों से आगे निकल गया है। उत्तर प्रदेश को 81 करोड़ लीटर ब्लेंडिंग का टारगेट मिला है जो देश में सर्वाधिक है।
सुरेश राणा आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा कि पिपराइच उत्तर भारत की ऐसी पहली मिल है, जो गन्ना के जूस से सीधे एथनॉल बनाएगी। उन्होंने कहा कि एथनॉल तीन प्रकार से बनाने का तरीका है। एक रुटीन, दूसरा बी हैवी मोलाइसिस एथनॉल और तीसरा गन्ने के जूस से एथनॉल बनाया जाएगा।
मंत्री ने कहा, “नई डिस्टलरी लगाई जा रही है, हम किसानों को पांच साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण दे रहे हैं। एथनॉल बनने पर किसानों को सिर्फ चीनी पर ही निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।”
उन्होंने बताया कि मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिल से मिलने वाले शीरे से डिस्टिलरी चलेगी, जिससे एथनॉल बनाया जाएगा। देश में एथनॉल की 9104 करोड़ रुपये की कुल स्वीकृत 174 परियोजनाओं में से 2379 करोड़ रुपये की 34 परियोजनाएं उत्तर प्रदेश से हैं। इसके डिस्टिलरी की 17 नई इकाइयां स्थापित करने के साथ पहले से मौजूद इकाइयों के क्षमता विस्तार भी किया जा रहा है।
गन्ना मंत्री ने बताया कि वर्ष 2007 से 2012 तक 19 और 2012 से 2017 तक 10 मिलें बंद हुई थीं। योगी सरकार ने 30 माह में डेढ़ दर्जन नई मिलें शुरू कीं, इनमें पश्चिम उप्र में बुलंदशहर में वेव शुगर मिल, सहारनपुर में दया शुगर मिल, चंदौसी में वीनस शुगर मिल प्रमुख हैं। मेरठ के मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल का विस्तार किया जा रहा है और रमाला में नई मिल लगी है।
राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गन्ना किसानों का 77 हजार करोड़ रुपये का भुगतान सुनिश्चित कराया है, जो आजादी के बाद से किसी भी राज्य के किसी भी कालखंड में सबसे बड़ा भुगतान है।
उन्होंने कहा कि पहले किसानों के पास क्रेशर पर गन्ना डालने का विकल्प था, जिसे बाद की सरकारों ने बंद कर दिया था, लेकिन योगी सरकार ने एक साल में 101 नए क्रेशर का लाइसेंस जारी किया है। वर्ष 2015-16 में 64 करोड़ कुंतल गन्ना पेराई हुई थी, जो अब 111 करोड़ कुंतल तक पहुंच गई है। वर्ष 2015-16 में सपा ने 18003 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, जबकि इस सरकार ने एक साल में 35,400 करोड़ का भुगतान किया है। गन्ने की खेती का क्षेत्रफल 20 लाख हेक्टेयर था जो अब 28 लाख हेक्टेयर हो गया है।
राणा ने कहा, “हमने सरकार में आते ही गन्ना 10 रुपये का भाव बढ़ाया, साथ ही हमने किसानों की ढुलाई का खर्च जो 8 रुपये 75 पैसे आता था, उसे हमने 42 पैसे प्रति किलोमीटर प्रति कुंतल किया है, जिससे किसानों को सीधे 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा का फायदा हुआ है।”
गन्ना के दाम पिछले साल दो सालों से न बढ़ाए जाने के सवाल पर सीधा जवाब न देकर मंत्री ने कहा, “हमारी सरकार किसानों के भुगतान पर फोकस किए हुए है। किसानों का छह वर्ष का पुराना भुगतान किया जा चुका है। गन्ना माफियाओं से बचाने के लिए हमने सिस्टम को कम्प्यूटराइज कर दिया है। अब कोई भी गलत पर्ची नहीं दे सकता है। गन्ना एप्प के माध्यम से भी हमने व्यवस्था को सुधारा है।”
प्रियंका गांधी ने बीते दिनों गन्ना की समस्या को लेकर योगी सरकार को पत्र लिखा था, उसके जवाब में राणा ने कहा कि प्रियंका ट्विटर और पत्र की राजनीति से बाहर निकलकर वह धरातल पर आएं, तब उन्हें दिखेगा कि गन्ना किसान इस सरकार में कितना खुश है। यूपीए के शासनकाल में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की हैं।
उन्होंने कहा, “प्रियंका गांधी का गन्ना पर कोई अध्ययन नहीं है। अमेठी और रायबरेली लोकसभा क्षेत्रों में क्या विकास कार्य हुए हैं, क्या वह ट्विटर के माध्यम से बताएंगी? जो लोग अपने संसदीय क्षेत्र में कुछ नहीं करा पाए, वे देश क्या चला पाएंगे। एक भी काम गन्ना किसानों के लिए किया गया हो तो प्रियंका बताएं। मैं तो दावे के साथ कह सकता हूं कि प्रियंका गेहूं और ज्वार की बाली में अतंर नहीं बता पाएंगी।”
पराली जलाए जाने को लेकर उन्होंने कहा, “हमने किसानों के साथ अपील की है। इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। पराली से खाद और बिजली बनाने को लेकर फोकस कर रहे हैं। पराली आमदनी का जरिया बनेगी, इस पर सरकार विचार कर रही है।”