अमेरिका ने वहां रह रहे विदेशियों के साथ आक्रामक रुख अपनाया है। ट्रम्प कंपनी ने एच-4 वीजा के तहत काम कर लोगों का वर्क परमिट रद्द करने का निर्णय लिया है।
ट्रम्प प्रशासन ने अदालत को बताया कि वह एच-4 विजाधारको का वर्क परमिट निरस्त करेंगे। इसका सबसे अधिक असर भारतीयों पर पड़ेगा क्योंकि अधिकतर भारतीय महिलाए इस वर्कपरमिट के तहत अमेरिका में कार्यरत है।
एच-4 वीजा को रद्द करने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प ने तीन माह का अल्टीमेटम दिया है।
क्या है एच-4 वीजा
एच-4 वीजा को अमेरिका का सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सेर्विसेज विभाग जारी करता है। यह अमेरिका में एच-1 वीजा के तहत कार्यरत लोगों के परिवार को दिया जाता है।
अमेरिकी विभाग ने शुक्रवार को अदालत में बताया कि वह एच-4 के अंतगत मिलने वाले कार्य करने के अनुमति पत्र के नियम को अगले तीन माह में समाप्त कर देगी।
इसके लिए सरकार जल्दी और सख्त कदम उठा रही है। विभाग ने अदालत से इस नियम को चुनौती वाली याचिकाओं पर सुनवाई न करने की दरख्वास्त की है।
इस नियम का विरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं ने अदालत से जल्द निर्णय देने का अनुरोध किया है।
अमेरिकी कर्मचारियों के समूह ‘सेव जॉब यूएस’ नामक संस्था ने जल्द इस मसले पर निर्णय सुनाने का आग्रह किया है। फ़िलहाल अमेरिकी विभाग एच-1 बी वीजा नीति की जांच कर रहा है।
उनके अनुसार अमेरिकी कंपनी अपने देश के कर्मचारियों से नौकरी का हक़ छीन विदेशी कर्मचारियों को दे रही है। सेव जॉब यूएस ने अदालत से तत्काल फैसला लेने का आग्रह किया है।
ट्रम्प प्रशासन के इस निर्णय से अमेरिका में कार्य करने वाले कर्मचारियों में कमी आएगी।
एच-4 वीजा नियम
एच-1 विजाधारकों के परिवारजनों को दिया जाने वाला एच-4 वीजा का नियम वर्ष 2015 में बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था। साल 2015 से 2017 तक 1,26,853 आवेदनों को मंज़ूर किया गया था।