भारतीय टीम के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत को मोहाली में खेले गए चौथे वनडे मैच के दौरान खराब स्टंपिंग के लिए बहुत आलोचनाए सुनने को मिली है। उनकी गलतियों पर मोहली स्टेडियम में प्रशंसक एमएस धोनी, एमएस धोनी के नाम का जाप करने लगे जिससे वह और परेशान दिख रहे थे और मैदान पर एक के बाद गलती करते दिखाई दे रहे थे। पंत की स्टंपिंग के कारण भारत को आरोन फिंच की टीम से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन पंत के बचपन के कोच तारक सिन्हा ने आलोचको को मुंह तोड़ जबाव देते बहुए कहा है कि जब धोनी शुरूआत में भारतीय टीम से जुड़े थे तो वह भी कैच ड्रॉप और स्टंपिग से चूक जाते थे।
20 वर्षीय इस विकेटकीपर ने मोहाली में दो बड़े स्टंपिंग मौके गवाएं। पहले जब पीटर हैंड्स्कोम्ब 39वें ओवर में बल्लेबाजी कर रेहे थे और उनके पास सीधे गेंद पकड़कर उनको आउट स्टंप करने का अच्छा मौका था। उसके कुछ ओवर बाद ही, वह मैच विजेता खिलाड़ी एश्टन टर्नर को युजवेंद्र चहल की गेंद पर दोबारा स्टंपिंग करने से चूंक गए। उसके बाद वह धोनी की तरह बिन देखे रन-आउट करने का प्रयास कर रहे थे और उसमें भी असफल होते हुए उन्होने ऑस्ट्रेलियाई टीम को एक अतिरिक्त रन दे दिया।
कोच सिन्हा को दिल्ली में जन्मे खिलाड़ी के डिफेंस में कूदने की जल्दी थी, जिसे रांची के विकेटकीपर बल्लेबाज के दीर्घकालिक प्रतिस्थापन के रूप में देखा जा रहा है। सिन्हा ने प्रशंसकों और विशेषज्ञों से पंत के साथ धैर्य दिखाने का आग्रह किया जो अभी भी अपने सीखने की अवस्था में हैं क्योंकि धोनी के साथ तुलना युवा बालक के लिए अत्यधिक दबाव जैसी स्थिति पैदा करने लगती है।
इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से सिन्हा ने कहा, ” इस तरह की तुलना ज्यादा हो रही है क्योंकि धोनी (पंत) भी विकेटकीपर-बल्लेबाज हैं। लेकिन यह उस पर अनुचित है क्योंकि यह उसके लिए एक विशेष तरीके से प्रदर्शन करने के लिए अनुचित दबाव डालता है, कि वह धोनी की तरह प्रदर्शन करे। वह तब अच्छा कर सकता है जब उसका दिमाग बिलकुल फ्री होगा।”
सिन्हा ने प्रशंसकों को यह भी याद दिलाया कि धोनी वह बन गए हैं जो वह आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में हैं, ऐसा नहीं है कि वह उस दिन से अच्छे थे जब उन्होंने भारतीय जर्सी पहनी थी।
सिन्हा ने आगे कहा, ” आज के पंत और धोनी के के बीच 14 साल पहले का अंतर है जब वह भारतीय टीम में अपनी जगह बना रहे थे। पहले की बात करे, तो वह पंत की तरह सामान के साथ नहीं आए थे। कोई भी दिग्गज विकेटकीपर नहीं है जो उन्हे बदल सकता है। इसके बाद लोग या तो दिनेश कार्तिक थे या पार्थिव पटेल, उनसे छोटे खिलाड़ी थे। इसलिए, वह (धोनी) दबाव और अपेक्षाओं से मुक्त थे, लेकिन उनके इस महान काम का दबाव का सामना आज पंत को करना पड़ रहा है।”