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urjit patel

रिजर्व बैंक ऑफ़ इण्डिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने मंगलवार को संसदीय समिति के सामने नोटबंदी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बचाव किया और कहा कि इसके प्रभाव क्षणिक थे।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली के नेतृत्व में पैनल द्वारा पटेल से पूछताछ की गई। पैनल में पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह भी शामिल थे।

कच्चे तेल की कम होती कीमतों पर उत्साह व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “अर्थव्यवस्था के लिए कम कीमतें बेहतर होंगी।” अन्य सभी सवालों पर आरबीआई प्रमुख को 10 दिनों के भीतर लिखित उत्तर देना होगा।

पैनल ने मुख्य रूप से दो विषयों पर सरकार के साथ आरबीआई के हालिया तनाव पर अपनी प्रतिक्रिया मांगी थी, क्या आरबीआई के पास इतनी अधिक पूंजी है कि उसे सरकार के साथ इसे साझा करना होगा। क्या सरकारी सुधर की प्रक्रिया आरबीआई के कारण लंबित होता है?

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाल ही में कहा था कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय के रिश्ते कटुता के सबसे निचले स्तर तक पहुँच गए हैं। उन्होंने नोटबंदी की मुखर आलोचना की थी।

आरबीआई ने अपने वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि 15.3 लाख करोड़ रुपये की प्रतिबंधित मुद्रा बैंको में वापस आ गई थी जो बंद किये गए कुल नोटों का 99 फीसदी था।

31 सदस्यीय संसदीय कमिटी ने आरबीआई प्रमुख से बैंको के एनपीए की वर्तमान स्थिति के बारे में भी जानकारी मांगी।

कमिटी के सामने आरबीआई गवर्नर द्वारा विकास दर, मुद्रास्फीति पूर्वानुमान और इसकी वर्तमान सीमा के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति का विवरण बताने की भी उम्मीद है।

पटेल केंद्रीय बैंक प्रशासन में सुधारों के बारे में भी बात करेंगे जिसपर सरकार और बाहरी और स्वतंत्र निदेशकों ने बोर्ड में विचार किया था। सरकारी बैंकों के सुधारात्मक उपायों और इसके परिणाम, केंद्रीय बैंक रिजर्व पर वैश्विक मानदंड साझा करना और नोटबंदी पर अपना जवाब पैनल को सौंपेंगे।
संसदीय कमिटी नोटबंदी के दो साल बाद इस मुद्दे पर और इसके प्रभाव पर विचार विमर्श कर रही है।

By आदर्श कुमार

आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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