देश भर में उपभोक्ता आयोगों द्वारा त्वरित और किफायती न्याय पर जोर देते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को एक राष्ट्रीय कार्यशाला में आग्रह किया कि सभी आयोग डिजिटल मीडिया का जैसे कि नोटिस, जवाब और अन्य दस्तावेज जारी करने के लिए व्हाट्सएप और ई-मेल व्यवहार कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता आयोगों को मामलों के निपटारे में तेजी लाने के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अनुसार समय-सीमा पालन करना चाहिए। आयोग को मामलों को दाखिल करने के 3-5 महीने के भीतर निपटाने में सक्षम होना चाहिए जिससे उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय मिल सके।
गोयल ने कहा कि उपभोक्ता विवादों के निपटारे का एक तेज और सौहार्दपूर्ण तरीका प्रदान करने के लिए, नया अधिनियम (उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 जो जुलाई 2020 से लागू हुआ) दोनों पक्षों की सहमति से मध्यस्थता के लिए उपभोक्ता विवादों का संदर्भ भी पेश करता है। इससे न केवल विवाद को सुलझाने में लगने वाले समय और धन की बचत होगी, बल्कि लंबित मामलों को कम करने में भी मदद मिलेगी।
Justice Delayed Is Justice Denied.
At National Workshop for Effective & Speedy Consumer Disputes Redressal, urged Consumer Commissions to deliver timely & affordable justice through:
👉 Digitisation
👉 Simplification &
👉 Mediation📹 https://t.co/S2wHU0O7ic pic.twitter.com/pOShjj5yyO
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 20, 2022
सरकार इलेक्ट्रॉनिक मध्यस्थता (ई-मध्यस्थता) के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए भी सक्रिय कदम उठा रही है। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि जब भी पार्टियां मामलों के निपटारे के लिए मध्यस्थता का विकल्प चुनना चाहें तो स्थान और दूरी बाधाओं के रूप में कार्य न करें। अब तक 153 जिला आयोगों, 11 राज्य आयोगों ने राष्ट्रीय आयोग के साथ मध्यस्थता केंद्रों की स्थापना की है।
उन्होंने कहा कि ई-फाइलिंग की तरह, ई-निपटान के लिए भी महत्व प्रदान किया जाना चाहिए। उन्होंने ई-दाखिल पोर्टल की प्रगति की सराहना की जो उपभोक्ता शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने में सक्षम बनाता है और अधिकारियों से सभी मामलों में आभासी सुनवाई की सुविधा प्रदान करने का आग्रह करता है।
केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरजन ज्योति ने अपने मुख्य भाषण में रेखांकित किया कि हम अपने दैनिक जीवन में सभी उपभोक्ता हैं और निश्चित रूप से हमारी शिकायतों के त्वरित निवारण की अपेक्षा करेंगे। इसके अलावा, उन्होंने उपभोक्ताओं को त्वरित न्याय देने के लिए समाधान खोजने के संबंध में ‘जैसा हमारा कथा हो वैसा ही हमारा चिंतन होना चाहिए’ का हवाला दिया।
नई दिल्ली में वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री आदरणीय @PiyushGoyal जी की गरिमामय उपस्तिथि में उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा “उपभोक्ता विवाद के प्रभावी और त्वरित निवारण” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में उपस्तिथ गणमान्यों को सम्बोधित किया। pic.twitter.com/lbbjB4VKYQ
— Sadhvi Niranjan Jyoti (@SadhviNiranjan) June 20, 2022
एनसीडीआरसी अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति, आर के अग्रवाल ने अपने मुख्य भाषण में इस बात पर प्रकाश डाला कि ‘न्याय में देरी न्याय से इनकार है’। उन्होंने आगे कहा कि त्वरित न्याय का अधिकार हमारे संविधान में निहित है और माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त है और दोहराया गया है कि समय पर न्याय और त्वरित न्याय संविधान के तहत जीवन के अधिकार का एक पहलू है।
Key note address by Justice Shri R. K. Aggrawal, President, NCDRC at National Workshop for effective & speedy Consumer Disputes Redressal organized by Department of Consumer Affairs, Govt of India pic.twitter.com/laZqUX5epj
— Consumer Affairs (@jagograhakjago) June 20, 2022
उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह, अपर सचिव निधि खरे, संयुक्त सचिव अनुपम मिश्रा और एस. विनीत माथुर अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, उपभोक्ता आयोगों के अध्यक्ष और सदस्य और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल हुए।