भारतीय जनता पार्टी जो इस वक़्त उत्तर प्रदेश में सत्ता-विरोधी लहर का सामना कर रही है, वे अपने 57 मौजूदा सांसदों को टिकट देने से इनकार कर सकती है। रिपोर्ट्स ने इस खबर की पुष्टि की और साथ ही बताया कि भगवा पार्टी आगामी लोक सभा चुनावो को जीतने के लिए एक गेम प्लान तैयार कर रही है।
सीएनएन-न्यूज18 ने बताया कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती के साथ भाजपा के कुछ सांसद पहले से ही संपर्क में हैं। कभी कट्टर दुश्मन रहे, सपा और बसपा ने जब शनिवार को उत्तर प्रदेश में अपने गठबंधन की घोषणा की, तब मायावती ने कहा-“भाजपा और उसके सहयोगियों को केंद्र में किसी भी कीमत पर सत्ता में आने से रोका जाना चाहिए।”
भाजपा ने सांसदों के टिकटों को नकारने का फैसला इसलिए किया क्योंकि पार्टी के सांसदों के आंतरिक सर्वेक्षण ने नकारात्मक रिपोर्ट दिखाई और बताया कि राजनेताओं ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के जनादेश का पालन नहीं किया और नाही केंद्र की योजनाओं और नीतियों के बारे में जागरूकता पैदा की।
सीएनएन-न्यूज18 ने बताया कि शाह ने 9 जनवरी को एक बैठक में सांसदों के फैसले से अवगत कराया। जैसा कि बीएसपी-एसपी गठबंधन की दलितों सहित समाज के कई वर्गों से अपील करने की संभावना है, भाजपा सत्ता-विरोधी भावनाओं से लड़ने के लिए उत्तर प्रदेश में नए चेहरे मैदान में उतार रही है।
भाजपा नेता ने कहा कि इस अध्ययन की मूल खोज यह थी कि बहुसंख्यक सांसद जनता से जुड़ने में असफल रहे। विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों का चयन प्रशासन पर छोड़ दिया गया था, और इन सांसदों ने कभी उनसे मिलने या यह बताने का प्रयास नहीं किया कि उन्हें जो कुछ भी लाभ मिला है वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कारण मिला था।