उत्तर प्रदेश में बांदा जिले की अतर्रा कान्हा पशु आश्रय केंद्र (सरकारी गौशाला) में कथित रूप से भूख और ठंड से दो दिनों में 22 गायों की मौत होने से हड़कंप मच गया है। गायों की मौत पर शुक्रवार को दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है।
बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा ने शुक्रवार को बताया, “अतर्रा नगर पालिका परिषद द्वारा संचालित कान्हा पशु आश्रय केंद्र (सरकारी गौशाला) में बुधवार-गुरुवार की रात भूख और ठंड की वजह से 15 और शुक्रवार को सात गायों की मौत होने के बाद मरने वाली गायों की संख्या अब 22 हो गई है। इन गायों के शव बिना पोस्टमॉर्टम करवाए ही जंगल में फेंकवा दिए गए हैं।”
उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की सख्त हिदायत के बाद भी गौशालाओं में बंद गायों के लिए न तो चारे का इंतजाम किया जा रहा और न ही ठंड से बचाव के लिए टिनशेड ही लगवाए जा रहे। शर्मा ने जंगल में पड़े गायों (सरकारी टैग लगे) के शवों के फोटो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल किया है।
इन गायों की मौत की खबर संकलित करने गुरुवार को गौशाला गए मीडियाकर्मियों के समक्ष बीमार गौवंशों का इलाज कर रहे पशु चिकित्सक डॉ. योगेंद्र कुमार कहा कि ज्यादातर गायों की मौत भूख और ठंड से हो रही है।
उन्होंने कहा कि चरही (भूसा डालने की जगह) की ऊंचाई ज्यादा होने पर बड़ी और स्वस्थ्य गायें तो चारा-पानी खा लेती हैं, लेकिन छोटे व कमजोर गौवंश भूखे रह जाते हैं। यहां कोई टिनशेड न होने से भी ज्यादातर गायें ठंड लगने से बीमार हो गई हैं।
डॉ. कुमार ने बताया कि बुधवार-गुरुवार रात करीब एक दर्जन गायों की मौत हो चुकी है और दो दर्जन से ज्यादा बीमार हैं।
पशु चिकित्सक ने बताया कि मृत किसी भी गाय का उनके द्वारा पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया। नगर पालिका के कर्मचारी गायों को ऐसे ही फेंक दिए हैं।
इसी दौरान कुछ गायों के शव ट्रैक्टर-ट्रॉली में लादकर फेंकने जा रहे गौशाला के प्रबंधक संतोष कुमार ने आरोप लगाया कि पशु चिकित्सक बीमार गौवंश के इलाज के लिए बुलाने पर भी नहीं आते, जिससे गायों की असमय मौतें हो रही हैं।
उन्होंने स्वीकार किया कि मृत गायों के शव बिना पोस्टमॉर्टम कराए ही फेंके गए हैं। हालांकि, पशु चिकित्सक ने कहा कि वह हर दूसरे या तीसरे दिन गौशाला आकर बीमार गौवंशों का उपचार करते हैं।
गौशाला में तैनात एक अन्य कर्मचारी रज्जी ने बताया कि यहां करीब 400 गौवंश बंद हैं, लेकिन चारा और भूसा पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता है, जिससे गौवंशों की मौतें हो रही हैं। ठंड से बचाव के भी कोई इंतजाम नहीं है।
इस पूरे मामले में अतर्रा के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) सौरभ शुक्ला ने प्रारंभ में कहा कि उन्हें इस बारे में बाइट देने की अथॉरिटी नहीं है। वह इस बारे में कुछ भी नहीं बता सकते। लेकिन शुक्रवार दोपहर बाद जब यह मामला तूल पकड़ा तो उन्होंने स्वीकार किया कि गौशाला में शुक्रवार की रात नौ उम्रदराज गायों की मौत हुई है।
उन्होंने कहा कि इन गायों की उम्र बहुत ज्यादा थी, इसलिए इनकी मौत हो गई है। एसडीएम ने कहा कि ये गायें कहीं भी रहती तो भी मरती, लेकिन गौशाला में मरी हैं तो एक मुद्दा बन गया है।
शुक्ला ने बताया कि गायों की मौत को गंभीरता से लेते हुए गौशाला में तैनात सफाई नायक और एक अन्य कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया है। लेकिन उन्होंने बुधवार-गुरुवार की रात मरी 15 गायों को नकार दिया है।
जिलाधिकारी से फोन पर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उनका सरकारी फोन रिसीव नहीं हुआ। गौरतलब है कि एक माह पूर्व भी इसी गौशाला में 13 गायों की मौत होने की खबर आई थी।