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    cane river

    बांदा, 14 मई (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में पीने के पानी का कितना संकट है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रशासन पिछले तीन दिनों से संगीनों के साये में केन नदी की खोदाई कराने में जुटा है। बीते एक हफ्ते से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे बांदा शहर के आधे वशिंदों के दर्द को जब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव ने ट्वीट्स के जरिए सामने रखा, तब जाकर प्रशासन जागा और अब तक करीब 43 किलोमीटर नदी की जलधारा साफ हो पाई है।

    बुंदेलखंड में गर्मी का आगाज होते ही हर साल पीने के पानी का संकट शुरू हो जाता है। भूजल स्तर नीचे खिसक जाने से सरकारी-गैर सरकारी हैंडपंप व नलकूप पानी देना बंद कर देते हैं, फिर एक मात्र केन नदी की जलधारा ही आधे शहर के वाशिंदों के लिए हलक तर करने का सहारा रह जाती है। लेकिन, इस साल बालू पट्टाधारकों ने भारी-भरकम मशीनों से बीच जलधारा से बालू निकाल कर कृत्रिम आपदा पैदा कर दी और जलधारा ही समाप्त हो गई। इस बीच बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग पिछले एक हफ्ते से सड़क पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालात बेकाबू होते देख जिला प्रशासन पिछले तीन दिनों से केन नदी की जलधारा की खोदाई कराने में जुटा है।

    बांदा सदर तहसील के तहसीलदार अवधेश कुमार निगम ने मंगलवार को बताया, “जेसीबी मशीनों के जरिए नरैनी क्षेत्र के नसेनी गांव से हटेटी पुरवा तक लगभग 43 किलोमीटर की जलधारा खोदाई कर साफ की जा चुकी है। अब आज छह मशीनों से हटेटी पुरवा में अवैध तरीके से सब्जी की खेती कर रहे केवट व मल्लाहों के कब्जे हटाए जा रहे हैं।”

    उन्होंने बताया, “सब्जी उजाड़ने पर रविवार को कुछ मल्लाहों और अधिकारियों के बीच हुई तीखी झड़प को देखते हुए कई थानों के पुलिस बल के साथ केन नदी की जलधारा को साफ कर पानी जल संस्थान के इंटेकवेल तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।”

    इस बीच बुंदेलखंड इंसाफ सेना के अध्यक्ष ए.एस. नोमानी के नेतृत्व में आधा सैकड़ा लोगों ने पानी के खाली घड़े लेकर प्रदर्शन किया, जिन्हें पुलिस ने खदेड़ दिया है। नोमानी ने आरोप लगाया, “केन नदी की बीच जलधारा में हुए बालू के अवैध खनन की वजह से शहर में पेयजल संकट पैदा हुआ है। लेकिन प्रशासन खनन माफियाओं को बचा रहा है, और सब्जी उगा कर अपने परिवार का भरण करने वाले मल्लाहों की फसल उजाड़ रहा है।”

    उन्होंने कहा, “43 किलोमीटर की लंबाई में नदी की जलधारा में पत्थर के अलावा एक भी बालू का कण नहीं मिला है। सारा बालू छन्ना लगाकर बेच लिया गया है। नदी में कई अस्थाई पुल और रास्ते बनाकर जलधारा विलुप्त कर दी गई थी, जिन्हें प्रशासनिक अमले ने हटाया है। लेकिन अब तक किसी भी बालू माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। लेकिन सब्जी नष्ट करने का विरोध करने वाले मल्लाहों के खिलाफ रविवार को प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।”

    अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) संतोष बहादुर सिंह ने कहा, “सिर्फ केन नदी की जलधारा साफ की जा रही है, ताकि बांदा शहर के लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराया जा सके। इसमें किसी गरीब को सताने वाली कोई बात नहीं है।”

    उन्होंने कहा, “कुछ मल्लाह रेता से हट कर जलधारा को प्रभावित कर सब्जी उगा लिए थे, उनका थोड़ा नुकसान हुआ है।”

    गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट के जरिए बांदा के पेयजल संकट को उठाया था। अखिलेश ने शनिवार शाम एक ट्वीट में कहा था कि “अवैध खनन से त्रस्त बांदा बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है और प्रदेश की भाजपा सरकार आंखें मूंदे बैठी है। बस अब मुखिया जी का यह कहना बचा है कि हम तो बाबा लोग हैं, हमें पानी-वानी से क्या लेना-देना।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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