उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में योगी सरकार अपनी हैट्रिक लगाने के इरादे से उतरेगी। भाजपा के स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ 12 नंवबर को मुजफ्फरनगर से अपनी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। योगी वहां कार्यकर्त्ता सम्मेलन और जनसभा करेंगे। भाजपा ने अपना लोकसभा और विधानसभा चुनाव का प्रचार प्रसार पश्चिमी उत्तरप्रदेश से ही शुरू किया था।
वहीं पार्टी ने हिंदुत्व के बड़े चेहरे माने जाने वाले योगी आदित्यनाथ से पश्चिमी क्षेत्रों में ज्यादा सभाएं करवाई थी। बीजेपी की जो चुनावी रणनीति है उसके अनुसार पार्टी ने मुख्यमंत्री योगी से 16 नगर निगमों और 25 जिलों में चुनावी सम्मेलन कराने का निर्णय लिया है। चुनावी सम्मेलनों के लिए बीजेपी अपना पहला मंच 2013 में दंगे के कारण मशहुर हुए मुजफ्फरनगर में सजायेगी।
भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को जड़ी बूटी कि तरह इस्तेमाल किया था और यह बहुत कारगार साबित हुआ। राजनीतिक ध्रुवीकरण होने के बावजूद बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 73 सीटें जीत कर आई थी। सियासी दावपेच कहे या राजीनीति कवायद, भाजपा ने इस बार निकाय चुनाव में मुस्लिमों को भी टिकट दिया है।
बीजेपी इसे सबका साथ सबका विकास के तौर पर देख रही है। लेकिन बीजेपी अपने हिंदुत्व के मुद्दे को साथ लेकर चलने की कवायद नहीं छोड़ेगी। पार्टी अपने हिंदुत्व वाले फार्मूले को पश्चिम में आजमाएगी।
सूत्रों का कहना कि चुनाव में बीएसपी के उतर जाने से भाजपा अपने पुराने फार्मूले पर ही चुनाव लड़ने की कोशिश करेगी। क्योकि बसपा अपनी राजनीति जातिकरण को लेकर करती है इसपर भाजपा अपनी जो परम्परागत राजनीति करती आई है उसपर ही चुनावी बिगुल फूंकना चाहेगी।
चुनावी परम्परा के अनुसार देखा जाये तो बसपा के आने से दलितों में वोट देने की जो विकल्प है वह बढ़ता दिख रहा है। ऐसे में पश्चमी उत्तर प्रदेश का मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र और गैर मुस्लिम क्षेत्र चुनावी प्रकरण को देखते हुए आपस में बट जायेंगे। और बीजेपी के लिए गैर मुस्लिम एक मात्र रास्ता है।