Mon. Dec 23rd, 2024
    उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव

    बरेली में निकाय चुनाव को लेकर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी में कुछ ज्यादा ही हलचल दिखाई दे रही है। पार्षद के टिकट को लेकर सभी दलों में घमासान छिड़ा हुआ था लेकिन अब स्थिति सामान्य है। भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा जैसी प्रमुख पार्टियों के अतिरिक्त छोटी क्षेत्रीय पार्टियां और निर्दलीय भी चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं।

    नगर निगम चुनाव के लिए इस बार नए परिसीमन के तहत नगर निगम में 10 नए वार्ड भी बनाए गए है। ज्यादा आबादी वाले वार्डों को शिफ्ट कर 10 नए वार्ड बनाये गए है। इस तरह से बरेली नगर निगम में इस बार 80 वार्डों में चुनाव होंगे। 80 में से 45 वार्ड आरक्षित हो गए है, जबकि 35 वार्ड सामान्य श्रेणी में रखे गए है। आरक्षित वार्डों में महिलाओं के लिए 17, अनुसूचित जाति के लिए 4, ओबीसी के लिए 14, ओबीसी महिलाओं के लिए 8 और अनुसूचित जाति महिलाओं के लिए 2 वार्ड आरक्षित किये गए है। वहीं पार्षद के चुनाव के लिए पार्टियों और कार्यकर्ताओं ने काफी मशक्कत की है। इस कार्य में सबसे आगे समाजवादी पार्टी और भाजपा शामिल है। लेकिन उम्मीदवारों की सूची तैयार करने में कांग्रेस और बसपा ने भी कड़ी मशकत की है।

    बरेली निकाय चुनाव में मेयर पद की दावेदारी के बाद सभी पार्टियों में घमासान मच गया है। जब तक पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की थी तब तक कार्यकर्ता पार्टी कार्यलय को ही अपना घर-द्वार समझ कर वही डेरा डाले हुए थे। लेकिन जैसे ही उम्मीदवारों की सूची पार्टियों ने जारी की, कार्यकर्ताओं में शांति का माहौल दिख रहा है। समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में अभी भी घमासान देखने को मिल रहे है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी से यह साफ जाहिर है कि टिकट बँटवारे में कुछ हेर-फेर हुआ है। बरेली वैसे भाजपा का गढ़ माना जाता है पर इस बार मुकाबल कड़ा नजर आ रहा है। आपको बता दें कि सभी पार्टियों ने अपने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है।

    बरेली के मेयर उम्मीदवारों की सूची

    समाजवादी पार्टी – डॉ. आईएस तोमर
    भारतीय जनता पार्टी – उमेश गौतम
    बहुजन समाजवादी पार्टी – युसूफ
    कांग्रेस – डॉ. अजय अग्रवाल

    उम्मीदवारों की सूची के आधार पर यह कहा जा रहा है कि डॉ. आईएस तोमर मेयर पद के लिए प्रबल दावेदार है। इसके पहले भी डॉ. तोमर ही मेयर पद पर विराजमान थे। वह समाजवादी पार्टी के नेता है। वहीं भाजपा ने इस निकाय चुनाव में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर उमेश गौतम को अपना उम्मीदवार बनाया है।

    नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत में मेयर और चेयरमैन की सीटों पर प्रस्तावित आरक्षण की सूची जारी होने के साथ ही शहरों में निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। इन चुनावों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इम्तेहान के तौर पर देखा जा रहा है। विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी पर दबाव होगा कि वह सभी सीटों पर कमल खिलाए और पार्टी को मजबूत आधार दे। इस बार उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और योगी आदित्यनाथ सूबे के मुखिया हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस चुनाव का परिणाम योगी के आठ महीने के कार्यकाल की प्रतिक्रिया साबित हो सकता है। विपक्षी पार्टियां वर्तमान सरकार पर लगातार हमला करती रही है, कभी बीआरडी अस्पताल में मासूमों की मौत पर तो कभी कानून व्यवस्था पर। विपक्षी पार्टियों का दावा है कि भाजपा सरकार से जनता का मोहभंग हो चुका है। अगर निकाय चुनाव में बीजेपी को शिकस्त मिलती है तो यह माना जायेगा कि विपक्षियों के द्वारा किए गए टिप्पणियों में दम है। अगर ऐसा कुछ नहीं हुआ तो यह विपक्षियों की गलतफहमी होगी। बरेली चुनाव के लिए बीजेपी के कार्यकर्ताओं समेत पार्टी के पदाधिकारी भी कड़ी मेहनत कर रहे है।

    बीजेपी नेता व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरेली में सभा सम्बोधित करते हुए विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि इसके पहले प्रदेश की सरकार ने जनता को लूटा है। उन्होंने पिछली सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया था। योगी ने कहा था कि अब जनता को किसी से डरने की जरूरत नहीं है। पूर्ववर्ती सरकार प्रदेश की कानून व्यवस्था को नजरअंदाज कर के चल रही थी। लेकिन हमारी सरकार ने सबसे ज्यादा जोर कानून व्यवस्था पर दिया है। उन्होंने बरेली की जनता को यह आश्वासन दिया था कि अगर आप लोगों ने इस चुनाव में बीजेपी को जिताया तो बरेली को आपकी सोच से बेहतर बना कर दिखाएंगे।

    जानकारों का कहना है कि बरेली में भाजपा पहले से ही मजबूत स्थिति में है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के संतोष गंवार ने समाजवादी पार्टी की आयेशा इस्लाम को पराजित किया था। वैसे बीजेपी 1989 से लगातार बरेली लोकसभा सीट जीतते आई है। संतोष गंवार लगभग दो दशक से लोकसभा सदस्य है। उत्तर प्रदेश विधानसभा 2017 में भी भाजपा ने बरेली में अपना पैर जमाए रखा। बरेली कैंट विधानसभा से बीजेपी के राजेश अग्रवाल और सिटी से डॉ. अरुण कुमार विधायक हैं। इस तस्वीर को देखते हुए बीजेपी बरेली में अपनी जीत का दावा कर रही है। वहीं समाजवादी पार्टी भी बरेली की मेयर सीट जीतने के लिए काफी मशक्कत कर रही है। पार्टी अपने मेयर सीट को बरकरार रखना चाहती है। सपा वर्तमान सरकार पर यह आरोप लगा रही है कि बीजेपी केवल धर्म की राजनीति करती है और लोगों को बाँटने का काम करती है।

    बरेली की धार्मिक जनसंख्या के आँकड़ें

    हिन्दू – 5,30,043 – 58.58%
    मुस्लिम – 3,51,025 – 38.80%
    ईसाई – 7,097 – 0.78%
    सिख – 8,179 – 0.90%

    अगर बीजेपी धर्म के आधार पर चुनाव को पार करना चाहती है तो उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। बरेली का क्षेत्रफल 235 वर्ग किलोमीटर है। यहाँ साक्षरता 68.89% है और लिंग अनुपात 899 है। यहाँ के करीब 6,01,405 लोग बेरोजगार है और मात्र 2,35,736 लोग ही कार्यरत है। अब देखना है कि बीजेपी की सरकार अपने वादे पर खरा उतरती है या नहीं।

    सभी पार्टियां अपने-अपने वादे के सहारे चुनाव में सिरकत कर रही है। कोई अपनी दावेदारी बचाने में लगा है, तो कोई नए सिरे से चुनावी समीकरण बदला चाहता है।