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    नई दिल्ली, 20 मई (आईएएनएस)| देश की कुल 543 लोकसभा सीटों में से अकेले 80 सांसदों को संसद भेजने वाला सर्वाधिक आबादी वाले उत्तरप्रदेश को देश की राजनीतिक दिशा तय करने वाला राज्य माना जा सकता है, क्योंकि 16 में से 12 बार केंद्र में उसी पार्टी की सरकार बनी है, जिसने यहां अधिकतम सीटों पर कब्जा किया है।

    17वीं लोकसभा के चुनाव के लिए सात चरणों का मतदान अब समाप्त हो चुका है। क्या उत्तरप्रदेश देश का राजनीतिक भाग्य तय करने वाला राज्य बनेगा या फिर 1991, 1999, 2004 और 2009 जैसे चौंकाने वाले नतीजे यहां से आएंगे।

    अबतक हुए 16 आम चुनावों के अनुसार, कांग्रेस ने 1991 में पांच और 1999 में नौ सीटें जीतने के बावजूद सरकार बनाई थी। 1999 और 2009 में समाजवादी पार्टी (सपा) ने यहां की अधिकतर सीटें जीती थी।

    एक्जिट पोल में रविवार को उत्तरप्रदेश में खंडित जनादेश दिखाया गया है। हालांकि राजग के सत्ता में वापसी के संकेत दिए गए हैं।

    यह देखना होगा कि जब 23 मई को मतगणना शुरू होगी तो उत्तरप्रदेश से किस प्रकार के नतीजे आते हैं। क्या वहां भाजपा, समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन या फिर कांग्रेस मुख्य खिलाड़ी बनकर उभरती है।

    इस राज्य में भाजपा का मजबूत प्रदर्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी बार ताजपोशी में मदद करेगा।

    भारत के पहले आम चुनाव 1952 से लेकर 1971 तक, कांग्रेस ने उत्तरप्रदेश की अधिकतर सीटों पर जीत दर्ज की और केंद्र में बहुमत वाली सरकार बनाई थी।

    विवादास्पद आपातकाल के हटने के बाद, विपक्षी पार्टियों ने जनता पार्टी के छतरी के नीचे कांग्रेस से मुकाबला किया और 1977 के चुनाव में जीत दर्ज की। मोरारजी देसाई तब भारत के गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने थे।

    उस चुनाव में, कांग्रेस उत्तरप्रदेश में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी, जबकि जनता पार्टी ने यहां की 85 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया था, तब उत्तराखंड इसी राज्य का हिस्सा था।

    जनता पार्टी के प्रयोग के विफल होने के बाद, कांग्रेस ने 1980 के आम चुनाव में 529 सीटों में से 353 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की।

    कांग्रेस ने इस चुनाव में उत्तप्रदेश में 50 सीटें जीती और इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बनी थीं।

    1984 में इंदिरा गांधाी की हत्या और सिख विरोधी दंगों के बाद, सहानुभूति लहर में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली। पार्टी ने 514 सीटों में से 404 पर जीत दर्ज की। भारतीय जनता पार्टी ने दो सीटें जीतकर अपनी शुरुआत की थी। पार्टी ने एक सीट आंध्रप्रदेश(अब तेलंगाना) में और एक सीट गुजरात में जीती थी। राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री बने थे।

    कांग्रेस ने तब उत्तरप्रदेश की 85 सीटों में से 83 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि दो सीटें लोकदल ने जीती थी।

    1989 के चुनाव में जनता दल ने उत्तरप्रदेश की 54 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन केंद्र में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस ने 197, जनता दल ने 143, जबकि भाजपा ने 85 सीटों पर जीत हासिल की थी। जनता दल ने भाजपा और वाम दलों के समर्थन से राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनाई। विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री बने थे।

    1991 के आम चुनाव ने उत्तरप्रदेश के देश का राजनीतिक भाग्य तय करने की परंपरा तोड़ दी। भाजपा को 51, जनता दल को 22 और कांग्रेस को केवल पांच सीटें मिलीं।

    पहली बार ऐसा हुआ कि उत्तरप्रदेश से इतनी कम सीटें जीतने के बावजूद कांग्रेस 232 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और गठबंधन सरकार बनाई। पी.वी. नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने थे।

    1996 और 1999 में, भाजपा ने उत्तरप्रदेश में क्रमश: 52 और 59 सीटें जीती और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार का गठन हुआ था।

    1999 में चुनाव कारगिल युद्ध के बाद हुआ था। भाजपा 182 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि कांग्रेस को केवल 114 सीटें मिलीं। यह पहली बार था, जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक गैर कांग्रेसी गठगंधन सरकार ने पांच वर्ष के कार्यकाल को पूरा किया।

    1991 के बाद यह दूसरी बार हुआ जब उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी (भाजपा) केंद्र में सरकार नहीं बना सकी। 1999 में सपा को 35, भाजपा को 29 और कांग्रेस को केवल 10 सीटें मिली थीं।

    2004 में, कांग्रेस ने उत्तप्रदेश में केवल आठ सीटों पर कब्जा जमाया, जबकि सपा को सबसे ज्यादा 35 सीट मिलीं। इसके बावजूद भी कांग्रेस नीत संप्रग ने सरकार बनाई।

    2009 में यहां सपा और कांग्रेस ने 22-22 सीटों तो बसपा ने 20 और भाजपा ने 10 सीटों पर कब्जा जमाया। कांग्रेस ने फिर से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई।

    2014 के आम चुनाव में उत्तरप्रदेश ने एक बार फिर खुद को देश की राजनीति की दशा तय करने वाले राज्य के रूप में स्थापित किया। भाजपा ने यहां 73 सीटों पर कब्जा जमाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाई।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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