उत्तर प्रदेश को देश का सबसे प्रदूषित राज्य घोषित किया गया है। देश के सबसे प्रदूषित 30 शहरों में से 15 शहर उत्तर प्रदेश के है। एरपोकैलिप्स-। नामक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया। यह रिपोर्ट सीएसपीसी द्वारा जारी आकड़ो पर आधारित थी, और सूचना के अधिकार से यह जानकारी ली गई थी।
इस रिपोर्ट में देश के सबसे प्रदूषित शहरों को नामांकित किया गया है। इस गणना का आधार, हवा में हानिकारक सूक्ष्म कणों की जांच है। यह गणना 2016 और कुछ मामलों में 2015 के दौरान की गई।
पीएम मोदी के चुनाव क्षेत्र को छठा स्थान प्राप्त है जो कि गाजियाबाद से एक स्थान ऊपर है। नई दिल्ली को लिस्ट में पहला स्थान मिला है, जबकि लखनऊ को 18वां स्थान मिला है। उत्तर प्रदेश के दूसरे शहर जो इस लिस्ट में शामिल है वह है हापुड, बरेली, फिरोजाबाद, कानपुर, आगरा, नोएडा, इलाहाबाद और मथुरा।
इस रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि, उत्तर प्रदेश के 280 शहरों में से एक भी शहर, डब्ल्यूएचओ के हवा में सूक्ष्म कणों की संख्या के अनुमति स्तर के आस-पास भी नही है।
सीनियर ग्रीनपीस कार्यकर्ता सुनिल दहिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बहुत ही अधिक है और करीब 68 करोड़ लोग इस ज़हरीली हवा में सांस ले रहे हैं।
दहिया ने आगे कहा कि, “यह गणना सिर्फ उन 22 शहरों में की गई थी, जिनमें हवा में प्रदूषित सूक्ष्म कण मापने के यंत्र थे। बाकी 53 शहरों में ऐसे कोई इंतजाम नही है। इसलिए यह कह पाना मुश्किल है कि,वास्तव में प्रदूषण से कितने लोग प्रभावित है। हमारे द्वारा दिया गया 68 करोड़ का आंकडा अधिक भी हो सकता है।”
ग्रीनपीस ने प्रदूषण से बचने के लिए सरकार को कुछ सुझाव दिए, जो इस प्रकार है –
•स्वच्छ ईंधन का प्रयोग
•बायोमास उत्सर्जन में कमी
•सड़कों से धूल हटाना
•निर्माण कार्य के धूल उत्सर्जन में कमी
•सोलर पावर को बढ़ावा
•जनपरिवहन में सुधार
पर्यावरणविदों के अनुसार, भले ही ग्रीनपीस ने देश में प्रदूषण के स्तर को लाल झंडी दिखा दी हो, पर सरकारों के लिए पर्यावरण संरक्षण कभी भी प्राथमिकता नही बन सकता।