दक्षिण कोरिया ने अपने हमवतन उत्तर कोरिया की सहायता के लिए 8 अरब डॉलर की मानवीय मदद को मंज़ूरी दी है। उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच बातचीत की प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है। साल 2015 के बाद प्योंगयांग को सीओल ने पहली मानवीय मदद मुहैया की है।
यूएन के मुताबिक, बीते एक दशक में उत्तर कोरिया में सबसे निचले स्तर की पैदावार हुई है। यह अनुदान संयुक्त राष्ट्र के जरिये मुहैया किया जायेगा। डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग के बीच हनोई सम्मेलन के बाद वार्ता ठप पड़ी हुई है और इसमें दक्षिण कोरिया मध्यस्थता कर रहा है।
हनोई सम्मेलन में उत्तर कोरिया और अमेरिका प्रतिबंधों से रिआयत के मतभेदों को सुलझाने में असफल साबित हुए हैं। पियांग्यांग ने सीओल और वांशिगटन के साथ संपर्क तोड़ रखा है। दक्षिण कोरिया की यूनिफिकेशन मिनिस्ट्री ने कहा कि “उत्तर कोरिया के अधिकारी के साथ उनकी आखिरी बातचीत मई के शुरुआत में हुई थी।”
दक्षिण कोरिया की यूनिफिकेशन मिनिस्ट्री ने बताया कि “भोजन के बिगड़ते हालातो की चिंता के कारण सरकार ने उत्तर कोरिया को अनुदान मुहैया करने की योजना बनायीं है। मदद के लिए सरकार 4.5 अरब डॉलर की मदद विश्व खदरा कार्यक्रम को मुहैया करेगी। बच्चों और गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए सरकार यूनिसेफ को 3.5 अरब डॉलर का अनुदान देगी।”
यूएन के आंकलन के मुताबिक, एक करोड़ से अधिक उत्तर कोरिया की जनता भोजन की कमी से जूझ रही है। मंत्रालय ने कहा कि “डब्ल्यूएफपी और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने मदद मुहैया करने के लिए आग्रह किया था क्योंकि वहां हालात काफी खराब होने की चिंता है।
मून की सरकार की तरफ से पहली मानवीय सहायता को उत्तर कोरिया ने ख़ारिज कर दिया है, कहा कि यह अंतर कोरियाई संबंधों के लिए गैर जरुरी है।
उन्होंने कहा कि “अगर दक्षिण निष्ठां से सतत विकास, शांति और समृद्धता की कामना करता है। तो उन्हें मानवीय सहायता के मामलो को उछालने की बजाये बीते वर्ष मंज़ूरी दिए गए इंटर कोरियाई इकोनॉमिक जॉइंट प्रोजेक्ट को अमल में लाना चाहिए।”