उत्तर कोरिया ने चेतावनी दी कि साल 2019 में देश 14 करोड़ टन भोजन की कमी की मार झेल सकता है। उन्होंने इसके लिए उच्च तापमान, सूखे, बाढ़ और यूएन के प्रतिबंधों को ठहराया है। संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया द्वारा दिए गए दो पन्नों को डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन की बैठक से पूर्व किया गया है।
15 सदस्यीय यूएन सुरक्षा परिषद् ने परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल के लिए वित्तीय सहायता के कारण साल 2006 में उत्तर कोरिया पर प्रतिबन्ध लगाए थे। उत्तर कोरिया की सरकार ने वैश्विक संघठन से खाद्य कमी के हालातों पर जल्द जवाब देने का आग्रह किया है। उत्तर कोरिया का आधिकारिक नाम डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ़ कोरिया है।
प्रतिबंधों का नतीजा
रायटर्स के मुताबिक उत्तर कोरिया का बीते वर्ष उत्पादन 4.951 मिलियन टन था, जो 2017 के मुकाबले 503000 काम था। उत्तर कोरिया ने कहा कि वह 200000 टन खाद्य सामग्री का निर्यात करते है और 400000 टन का उत्पादन करते हैं। जनवरी से प्रतिव्यक्ति के राशन में 300 ग्राम कम कर दिया गया है।
यूएन के प्रवक्ता ने कहा कि “अधिकारी खाद्य सुरक्षा हालातों के प्रभाव को बेहतर जानने के लिए उत्तर कोरिया की सरकार से विचार-विमर्श कर रहे हैं। ताकि मानवीय जरुरत के हिसाब से जल्द कोई ठोस कदम उठाया जा सके। उन्होंने कहा कि यूएन और सहायता समूह 60 लाख लोगों में से एक-तिहाई नागरिकों की ही मदद कर सकते हैं। इसका कारण फंड की कमी है।”
मानवीय सहायता
यूनाइटेड नेशन के आंकड़ों के अनुसार 103 लाख लोगों में से करीब आधी जनसँख्या को जरुरत है और 41 फीसदी उत्तर कोरियाई कुपोषित है। सुरक्षा परिषद् के प्रतिबंधों में मानवीय गतिविधियों को नहीं शामिल किया जाता है।
अमेरिकी राजदूत ने इस माह के शुरुआत में कहा था कि “राज्य ने मानवीय सहायता के लिए नियमों को आसान कर दिया है। प्राकृतिक आपदा से सँभालने के लिए रूस ने मानवीय लिहाज से उत्तर कोरिया में 50000 टन गेंहू का भेजा था। रूस ने वैश्विक खाद्य कार्यक्रम के तहत 80 लाख डॉलर की मदद करने की प्रतिबद्धता दिखाई थी।
यूएन की रिपोर्ट
हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर कोरिया में 43 प्रतिशत जनता भोजन असुरक्षा को झेल रही है। हर पांच में से एक बच्चा कुपोषण से पीड़ित है। यूएन रिपोर्ट में बताया कि “उत्तर कोरिया अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए पूरी तरह कृषि पर निर्भर है, जो कृषि बीते छह वर्षों से प्राकृतिक आपदा की मार झेल रही है मसलन सूखा व बाढ़ जैसी आपदाएं किसानों का हौसला तोड़ रही है।”
उत्तर कोरिया कई बार अमेरिका व अंतर्राष्ट्रीय जगत से लगाए प्रतिबंधों को हटाने की मांग कर चुका है और इसके बदले किम जोंग उन ने परमाणु निरस्त्रीकरण की प्रतिज्ञा ली है। अलबत्ता, अमेरिका ने राग अलापा हुआ है कि बिना परमाणु निरस्त्रीकरण के प्रतिबंधों से निजात मिलना नामुमकिन है।