विश्व के 70 देशों ने शुक्रवार को उत्तर कोरिया से परमाणु हथियारों, बैलिस्टिक मिसाइलों और इससे सम्बंधित कार्यक्रमों को नष्ट करने आग्रह किया है। उन्होंने इसे वैश्विक शान्ति के लिए बेहद बड़ा खतरा करार दिया है। इसमें अमेरिका, दक्षिण कोरिया, एशिया के राष्ट्र, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और युरोपभी शामिल है।
फ्रांस के द्वारा तैयार किये गए मसौदे में चीन और रूस ने हस्ताक्षर नहीं किये हैं क्योंकि वह किम जोंग उन सरकार के समर्थक है। जानकारों के मुताबिक, इस हफ्ते दो मिसाइल का परिक्षण कर पियोंगयांग अमेरिका पर दबाव बढ़ाने और परमाणु वार्ता को पटरी से न उतर देने के बीच चल रहा है।
कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, 15 देशों ने नयी मिसाइल लॉच के बाद उत्तर कोरिया से आग्रह करने पर विचार किया था। हस्ताक्षर करने वालो ने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और परमाणु हथियारों के जारी परिक्षण की सख्ती से क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिए गंभीर और बड़े खतरे की निंदा की है।
बयान एक मुताबिक, “हम उत्तर कोरिया से किसी भी प्रकार की भड़काऊ कार्रवाई न करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हम पियोंगयांग से अमेरिका के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण पर बातचीत जारी रखने की भी मांग करते हैं।” पियोंगयांग ने गुरूवार को दो शॉर्ट रेंज मिसाइल दागी थी।
उत्तर कोरिया ने नवंबर 2017 से कोई भी मिसाइल परिक्षण नहीं किया था और इसके बाद किम जोंग उन ने कूटनीतिक राह अपनायी थी। हनोई में अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच हुई मुलाकात बिना किसी समझौते के रद्द हो गयी थी। इन मिसाइल परीक्षणो को समझौता न होने की निराशा की तौर पर देखा जा सकता है।
दोनों पक्षों के बीच प्रतिबंधो से रिआयत देने पर सहमति न बनने के कारण किसी समझौते पर नहीं पंहुच पाए थे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “उत्तर कोरिया के मिसाइल लांच से कोई भी खुश नहीं है।” दो कम मारक क्षमता वाली मिसाइल के लांच करने के बाद भविष्य की परमाणु वार्ता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।