शुक्रवार को उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन के बीच कोरियाई प्रायद्वीप में शांति को लेकर मुलाकात हुई।
किम जोंग उन उत्तर कोरिया के शासक बनने के बाद, पहली बार यह मुलाकात होने जा रही रही। इससे पूर्व वर्ष 2000 में दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति किम दाई-जंग और किम जोंग उन के पिता, किम जोंग इल के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई थी।
कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त करने के दृष्टी से यह मुलाकात महत्वपूर्ण थी।
मुलाकात के बाद किम जोंग उन नें कहा, “मुझे लगता है यह उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच नये संबंधों की शुरुआत है। यह शान्ति और सुख के लिए वार्ता है।
इसके अलावा दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन नें कहा, “इस मुलाकात में कई शांतिपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। यह सभी कोरिया के लोगों और विश्व के सभी लोगों के लिए अच्छी खबर है।”
ऐसे में इस मुलाकात से यह जरूर लगता है कि अब कोरियाई प्रायद्वीप पर शान्ति स्थापित हो सकती है।
पिछले करीबन 65 सालों से दोनों कोरियाई देश एक दुसरे से लड़ रहे थे। दोनों देश एक दुसरे की आजादी को नहीं मान रहे थे और अपने आप को असली कोरिया बता रहे थे।
कोरियाई युद्ध
- द्वितीय विश्व युद्ध हारने के बाद जापान के अधिकार वाले कोरियाई प्रायद्वीप पर मित्र देशों ने कब्ज़ा कर लिया।
- अमेरिका और सोवियत रूस ने अपने नियंत्रण वाले कोरियाई प्रायद्वीप को अलग देश की मान्यता दी, यह विभाजन 38वी समतल रेखा के आधार पर किया गया था।
- सेउल और प्योंगयांग में सत्ताधारी पक्ष पुरे कोरियाई प्रायद्वीप पर अपना नियंत्रण बनाना चाहते थे, और इसीसे कोरियाई युद्ध की शुरुवात हुई।
- शीतयुद्ध के शुरुवाती दिनों में अमेरिका, दक्षिण कोरिया को सैन्य मदद करने की अनुमति संयुक्त राष्ट्र से लेने में कामियाब हुआ।
- सोवियत रुस और कम्युनिस्ट चीन उत्तरी कोरिया के पक्ष के थे, वे अमेरिकन सेना को अपनी सीमा तक आने देना नहीं चाहते थे।
- तक़रीबन 20 लाख लोगों ने इस लड़ाई में अपनी जान गवा यी, 1953 में रूस, चीन, उत्तरी कोरिया ने शस्त्रास्त्र संधी पर हस्ताक्षर किये।
- मगर दक्षिण कोरियाई नेतृत्व ने इस संधी पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया। और इसी वजह से दोनों देश आधिकारिक तौर युद्ध लड़ रहे है।
वर्तमान परिस्थिति
- युद्ध का आधिकारिक अंत न होने के कारण दोनों देशों में तनाव बरक़रार हैं।
- प्रायद्वीप में शांति के बहाली के लिए इससे पूर्व दो बार दोनों देशों के नेता आपस में बातचीत कर चुके हैं। परन्तु इसका समाधान निकालने दोनों देश असफल रहे हैं।
- युद्ध के कारन दोनों देशों में आपसी विश्वास का अभाव देखा जा सकता हैं।
- वर्ष 2006 में उत्तरी कोरिया ने परमाणु अप्रसार संधी से अपना नाम वापिस लिया था, और इसीके साथ अपने परमाणु कार्यक्रम की शुरुवात की थी।
पिछले दिनों उत्तरी कोरिया ने अपने परमाणु हथियारों के परिक्षण पर रोक लगा दी थी।
किम जोंग उन ने अपने महत्वकांक्षी आंतर महाद्वीपीय मिसाइल के निर्माण पर भी रोक लगा दी हैं। उत्तरी कोरिया के यह कदम उसपर बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते उठाये है, ऐसा कुछ देश मानते हैं।
सूत्रों के अनुसार, उत्तरी कोरिया अब अपने अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना चाहता है। पिछले दिनों किम चीन का दौरा कर चुके हैं।
उत्तरी कोरिया जागतिक प्रतिबंधो के चलते अकेला पढ़ गया है। और उसने किसी भी आक्रामक चुनौती के निपटने के लिए परमाणु हथियार विकसीत किये हैं। इसी लिए उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार पूरी तरह हे नष्ट कर देगा, इसमे शंका है।
इस मुलाकात को कोरियाई प्रायद्वीप शांति बहाली के लिए उठाया गया पहला कदम कहा जा सकता हैं। उम्मीद है की आने वाले दिनों में वार्ता के जरिये दोनों देश इस समस्या का हल निकाल लेंगे।