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    जापान और दक्षिण कोरिया

    अमेरिका के सहयोगी देशों दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच सम्बन्धी बिगड़ते जा रहे हैं। रायटर्स के मुताबिक, मंगलवार को दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के खिलाफ यूएन के प्रतिबंधो पर जापान की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया था। दोनों पड़ोसी देशों के सम्बन्ध जापान के प्रायद्वीप पर 1910-45 तक उपनिवेश शासन के बाद खराब हुए हैं। हालिया महीनो में दक्षिण कोरियाई मजदूरों को जबरन जापानी उद्यमियों के लिए कार्य करने पर मुआवजा देने को लेकर मतभेद चल रहा है।

    दक्षिण कोरिया-जापान के सम्बन्ध खराब

    दोनों एशियाई सहयोगियों के सम्बन्ध इस महीने में ज्यादा खराब हुए थे जब जापान ने दक्षिण कोरिया से हाई टेक उत्पादों के निर्यात पर पाबन्दी लगा दी थी। इस रोक से मेमोरी चिप और स्मार्टफोन की वैश्विक सप्लाई को खतरा है। जापान ने इंकार किया कि यह मतभेद मजदूरों को मुआवजा देने का है।

    जापानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हाइड्रोजन फ्लोराइड, जिसका इस्तेमाल रसायनिक हथियरो के उत्पादन में होता है, दक्षिण कोरिया को निर्यात करने के बाद वह उत्तर कोरिया को भेजा रहा है। दक्षिण कोरिया ने इसे ख़ारिज किया राष्ट्रपति मून ने इसे गंभीर चुनौती करार दिया था।

    जापानी सरकार ने कहा कि “वह यह आरोप नहीं लगा रहे थे कि उत्तर को पदार्थ भेजा जा रहा है।” दक्षिण कोरिया ने मंगलवार को पलटवार किया और राष्ट्रीय ख़ुफ़िया विभाग के प्रमुख ने संसदीय समिति के समक्ष कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधो को अमल में लाने के लिए जापान बेहद निष्क्रिय और उदासीन था।

    ख़ुफ़िया प्रमुख सुह हूँ ने संसद से कहा कि “जापान ने हाल ही में एक जहाज को प्रवेश की अनुमति दी थी और इस पर उत्तर कोरिया से तेल या कोयले के पदार्थो को गैरकानूनी तरीके से निर्यात करने का शक था, जो सरासर यूएन के प्रतिबंधो का उल्लंघन है।”

    जबरन मजदूर बनाये गए पीडितो को मुआवजा

    दोनों पक्षों के अधिकारीयों ने शुक्रवार को निर्यात पर पाबन्दी पर चर्चा के लिए मुलाकात की थी लेकिन प्रगति हासिल करने में नाकाम रहे थे। हालाँकि दोनों पक्षों ने पांच घंटो की बातचीत को सार्वजानिक करने के दौरान एक-दूसरे को फटकार लगाई थी।

    जापान के व्यापार मंत्री हिरोशिगे सको ने मंगलवार को कहा कि दक्षिण कोरिया ने बातचीत की गलत पहलु को उजागर किया है। जापान ने दक्षिण कोरिया के समक्ष विरोध व्यक्त किया था और कहा कि “दोनों पक्षों के बीच बातचीत गोपनीय थी और इससे  समझौते का उल्लंघन हुआ है।”

    दक्षिण कोरिया की शीर्ष अदालत ने बीते हफ्ते जापानी कंपनी को आदेश दिया कि 10 जबरन मजदूरी के पीड़ितों को मुआवजा दे। इस पर जापान ने कड़ी फटकार लगाई थी, जिनके मुताबिक यह मामला साल 1965 की संधि में सुलझ गया था। वकीलों ने कहा कि “अगर वे सोमवार तक की समयसीमा में इस पर प्रतिक्रिया जाहिर नहीं करते हैं तो, हम अदालत में मित्सुबिशी की संपत्ति को बेचने के दस्तावेज पेश करेंगे।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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