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    डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन

    उत्तर कोरिया के वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि “अमेरिका द्वारा उत्तर कोरिया के जहाजों की जब्ती ही दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को ब्बेहतर होने से रोका रही है। अमेरिका प्योंगयांग के खिलाफ तर्कहीन सोच रहा है। अमेरिका के प्रशासन को ठप पड़ी बातचीत को बहाल करने के लिए प्रतिबंधों को हटाने का एक बड़ा निर्णय लेना चाहिए।”

    न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक यूएन में उत्तर कोरिया के राजदूत हान तै सांग ने कहा कि “अमेरिका अगर यह सोचता है कि अधिकतर देशों में वांशिगटन के तर्क और और दबाव कार्य हो सकते हैं तो यह उनकी सबसे बड़ी भूल है।” उत्तर कोरिया पर उसके परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम के कारण अमेरिका और यूएन के प्रतिआबंद लागू है।

    प्योंगयांग ने जहाजों की वापसी के लिए अभियान छेड़ दिया है। वांशिगटन ने जहाजों के जब्त करने पर आरोप लगया कि वह जहाज अवैध तरीके से कोयले का निर्यात कर रहे थे और यह सरासर यूएन के प्रतिबंधों का उल्लंघन है।  वाइज ऑनेस्ट को नियंत्रण में लेने के खिलाफ उत्तर कोरिया ने अमेरिका को चेतावनी भी दी थी।

    उन्होंने कहा कि “यह उसकी सम्प्रभुता का उल्लंघन और और यह दोनों देशों के बीच भविष्य के विकासो को भी प्रभावित कर सकता है।” यूएन में उत्त्तर कोरिया के राजदूत ने कहा कि “हाँ, यह एक बड़ा मसला है क्योंकि यह हमारे देश की सम्प्रभुता का उल्लंघन है।”

    हान ने कहा कि “हम नहीं चाहते और न ही अमेरिका और न ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय चाहता है कि हालात फिर से खराब हो जाए। मई में शार्ट रेंज मिसाइल का परिक्षण एक नियमित परिक्षण है ताकि अपनी राष्ट्रीय रक्षा क्षमताओं को आंका जा सके।

    यूएन सुरक्षा परिषद् ने साल 2006 में उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को मज़बूत कर दिया था ताकि कोरिया की मिसाइल और बैलिस्टिक कार्यक्रम की वित्त सहयता को रोका जा सके। उन्होंने कोयला, लौह, टेक्सटाइल और समुंद्री भोजन के निर्यात और कच्चा तेल व पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर रोक लगा दी थी।

    परमाणु वार्ता को बहाल करने पर उत्तर कोरिया की रज़ामंदी के बाबत उन्होंने अप्रैल में किम के भाषण का उदहारण दिया था। उन्होंने कहा कि “अगर वह अपने विचार नहीं बदल सकते हैं और कोई बड़ा निर्णय नहीं ले सकते हैं तो हम पर भी अमेरिका के साथ एक और स्तर की वार्ता का जुनून सवार नहीं है।”

    उन्होंने कहा कि “इसलिए हमारे नेता ने कहा था कि अगर वह एक बड़ा निर्णय लेते हैं तो अमेरिका के साथ एक और स्तर की वार्ता की जाएगी। सूखे के कारण उत्तर कोरिया का अनाज उत्पादन बीते वर्ष से काम है और इससे भोजन की कमी हो रही है। यूएन एजेंसी अनुदानकर्ताओं के अनुदान के योगदान से भोजन सहायता मुहैया कर रही है। अगर भोजन सहायता है तो ठीक है लेकिन नहीं है तो हमें खुद प्रबंध करना होगा।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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