सऊदी अरब के क्राउन मोहम्मद बिन सलमान गुरूवार को चीन की तीन दिवसीय यात्रा पर गए थे और उन्होंने उइगर मुस्लिमों को नज़रबंद रखने पर चीनी के अधिकारों का जिक्र किया था। मोहम्मद बिन सलमान ने कहा कि “चीन के पास राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवाद रोधी और चरमपंथ के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।”
मोहम्मद बिन सलमान का समर्थन
उइगर मुस्लिमों को नज़रबंद रखने के लिए क्राउन प्रिंस ने चीन की पैरवी की है। चीनी नेता शी जिनपिंग ने क्राउन प्रिंस से कट्टरवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करने को कहा ताकि उग्रवादियों की विचारधारा और घुसपैठ को रोका जा सके।
उइगर समूहों ने रियाद के युवा क्राउन प्रिंस से इस मामले को उठाने की दरख्वास्त की थी। पारम्परिक तौर से अति रूढ़िवादी सऊदी अरब वैश्विक स्तर पर मुस्लिमों के अधिकारों के संरक्षण के तौर पर जाना जाता है। हालंकि काफी मुस्लिम नेताओं ने चीन के समक्ष इस मसले को नहीं उठाया है।
तुर्की का विरोध
बीते कुछ वर्षों में चीन मध्य एशिया का महत्वपूर्ण व्यापार साझेदार बनकर उभरा है। तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्डोगन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने चीन के खिलाफ आवाज़ उठायी थी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बयान दिया था कि उन्हें उइगर मुस्लिमों की दशा के बारे के कोई जानकारी नहीं है।
मोहम्मद बिन सलमान हाल ही में भारत और पाकिस्तान की यात्रा के बाद चीन के दौरे पर गए हैं। तुर्की के चीन के साथ करीबी राजनीतिक और आर्थिक सम्बन्ध है। तुर्की ने चीन को मुस्लिमों के लिए बनाये गए नज़रबंदी शिविरों को बंद करने की हिदायत दी है। चीन के शिनजियांग प्रान्त में लाखों उइगर मुस्लिमों को नज़रबंदी जबरन रखा गया है है। तुर्की ने कहा यह बेहद शर्म की बात है।
तुर्की के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हामी ऑक्सोय ने कहा कि चीन में जबरन उइगर मुस्लिमों को कैद को कैद करके रखना मानवता के लिए शर्म की की बात है। इन मुस्लिमों में कई तुर्क भाषी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह अब गोपनीय नहीं रहेगा कि 10 लाख से अधिक मुस्लिमों को अवैध तरीके से नज़रबंद शिविरों रखा गया है। ताकि उनका उत्पीड़न किया सके और कैदखानों व शिविरों में उनकी राजनीतिक विचारधारा परिवर्तित किया सके।