तुर्की ने चीन को मुस्लिमों के लिए बनाये गए नज़रबंदी शिविरों को बंद करने की हिदायत दी है। चीन के शिनजियांग प्रान्त में लाखों उइगर मुस्लिमों को नज़रबंदी जबरन रखा गया है है। तुर्की ने कहा यह बेहद शर्म की बात है।
मानवधिकार समूहों नव संयुक्त राष्ट्र से इसकी जांच करने की मांग की है। मानवधिकार संगठनों ने इस मसले को यूएन मानवधिकार सुरक्षा परिषद में उठाया था और फरवरी के अंत में शुरू होने वाले सत्र में फैक्ट फाइंडिंग मिशन की शुरुआत करने का आग्रह किया था।
तुर्की के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हामी ऑक्सोय ने कहा कि चीन में जबरन उइगर मुस्लिमों को कैद को कैद करके रखना मानवता के लिए शर्म की की बात है। इन मुस्लिमों में कई तुर्क भाषी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह अब गोपनीय नहीं रहेगा कि 10 लाख से अधिक मुस्लिमों को अवैध तरीके से नज़रबंद शिविरों रखा गया है। ताकि उनका उत्पीड़न किया सके और कैदखानों व शिविरों में उनकी राजनीतिक विचारधारा परिवर्तित किया सके।
तुर्की की यह प्रतिक्रिया हिरासत में एक विख्यात उइगर कवि और संगीतकार अब्दुरहीम हेईत की मौत पर आयी है। चीन अपने पश्चिमी प्रान्त में भेदभाव के लिए अंतर्राष्ट्रीय दबाव झेल रहा है। तुर्की ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र के सचिव से इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है।
पत्रकारों व जानकारों की जांच के मुताबिक 10 लाख से अधिक उइगर मुस्लिमों को नज़रबंद शिविरों में रखा गया है। चीन का दावा है कि यह प्रशिक्षण संस्थान है। चीनी विभागों ने आतंकवाद का खतरा बताया है और साथ ही चीन के विभागों ने धार्मिक समुदाय के स्थलों को निशाना बनाया है। अधिकारियों ने दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि यह एक धार्मिक व संजातीय समूह की पहचान बदलने का प्रयास है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की सेक्रेटरी जनरल ने कहा कि शिनजियांग एक खुले कैदखाने के रूप में परिवर्तित हो गया है। जहां के निवासी अपनी ही सरजमीं पर बेगाने हो गए हैं।