चीन ने एक सफ़ेद कागज़ पर रविवार को शिनजियांग में अपनी नीतियों का बचाव किया है और दावा किया कि उइगर मुस्लिमो पर इस्लाम को जबरदस्ती थोपा गया है। साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट ने राज्य परिषद दफ्तर के दस्तावेज के मुताबिक, उइगर लोगो ने इस्लाम को अपनाया था, लेकिन यह उनकी अपनी मर्जी नहीं थी। यह धार्मिक युद्धों और हुकूमत ने उनके ऊपर थोप दिया था।”
इस्लाम थोपा गया है
इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संजातीय समुदाय सिर्फ इस्लाम धर्म का ही पालन नहीं कर रहा है। इसके मुताबिक, ऐतिहासिक तथ्यों के मुताबिक, उइगर मुस्लिमों को तुर्की की राजशाही ने गुलाम बनाकर रखा था। इन दोनों के बीच मे संघर्ष आठवीं सदी में हुआ था।
इस इलाके में समुदाय के खिलाफ चीनी नीतियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है और यहाँ मानव अधिकार के उल्लंघन की वैश्विक जगत ने आलोचना की थी। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ो के मुताबिक, करीब 10 लाख से कम उइगर मुस्लिम और अन्य मुस्लिम शिनजियांग के बंदी शिविरों में हैं।
विशेषज्ञों ने चीन के दावे की आलोचना की है कि यह शिविर प्रशिक्षण या पुनार्शिक्षा केंद्र है जिनका मकसद लोगो को व्यावसायिक कौशल सिखाना है और इलाके में धार्मिक चरमपंथ के मार्ग से दूर करना है। इन केन्द्रों में रखे गए लोगो की जानकारी के बाबत कोई अधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किये गए हैं।
फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्यो ने एक ख़त पर हस्ताक्षर किये हैं और चीन से इलाके में उइगर मुस्लिमो को बंदी बनाने की प्रक्रिया को खत्म करने का आग्रह किया है।