ईशांत शर्मा को भारतीय गेंदबाजी ईकाई का ध्वजावाहक बनने में 12 साल लगे गए लेकिन 96 टेस्ट मैच खेलने वाला यह खिलाड़ी बिना किसी शक के उस गेंदबाजी आक्रमण के नेतृत्वकर्ता का तमगा पाने का हकदार है, जिसने बीते कुछ वर्षो में भारत को खेल के लंबे प्रारूप में सफलता दिलाई है।
ईशांत इस समय रणजी ट्रॉफी खेल रहे हैं और उन्होंने अपनी गेंदबाजी से दिल्ली को हैदराबाद को मात देने में अहम भूमिका निभाई।
मैच के बाद ईशांत ने अपनी गेंदबाजी, भारतीय गेंदबाजी आक्रमण पर बात की और साथ ही यह बताया कि आस्ट्रेलिया के जेसन गिलेस्पी के साथ बिताए गए वक्त ने उन्हें किस तरह से मदद की।
उन्होंने कहा, “मेरे सफर में कई उतार-चढ़ाव रहे हैं लेकिन अब मैं पहले से ज्यादा अपनी क्रिकेट का लुत्फ उठा रहा हूं। मैं जहीर खान, कपिल देव से अपनी तुलना नहीं कर रहा हूं। उन्होंने देश के लिए काफी कुछ किया है। जहां तक मेरी बात है तो मैं आपको अपने द्वारा हासिल किए गए अनुभवों के हिसाब से बता सकता हूं मैं कोशिश करता हूं कि उसे जूनियर खिलाड़ियों तक पहुंचा सकूं। यह जरूरी है। इसलिए कि आने वाले दिनों में, एक और गेंदबाज आए जो दिल्ली के लिए खेल सके। इससे मुझे गर्व होगा।”
उनसे जब पूछा गया कि जब क्रिकेट के पंडित उनकी काबिलियत के हिसाब से प्रदर्शन न करने की बात करते हैं तो क्या वो निराश महसूस करते हैं? इस पर ईशांत ने कहा कि हर कोई समस्या बताता है कोई भी समाधान नहीं बताता, लेकिन गिलेस्पी के आने से चीजें बदल गईं।
उन्होंने कहा, “मैं ज्यादा वीडियो नहीं देखता। मैं अपने अधिकतर वीडियो में यह देखता हूं कि मैं गेंद जहां डालना चाहता था, वहां डाल पाया की नहीं। जब आप उन नंबर के बारे में सोचते हो तो आप अपनी गेंदबाजी के बारे में सोचते हो। आपको अपने क्रियान्वयन का पता चल जाता है और खराब गेंदों का पता चल जाता है। यह अनुभव से आता है।”
दाएं हाथ के इस गेंदबाज ने कहा, “भारत में परेशानी यह है कि हर कोई आपको समस्या बताता है लेकिन कोई आपको समाधान नहीं बताता। समाधान जानना अहम है। मुझे यह अहसास हुआ है सिर्फ एक-दो लोग समाधान पर काम करते हैं।”
ईशांत ने आगे कहा, “जहीर ने हमें कई तरह के समाधान बताए। कई लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे आपनी फुल लैंग्थ गेंद में तेजी लानी चाहिए लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि कैसा लानी चाहिए। यह बात मुझे खुद पता चली। जब मैं काउंटी खेलने गया तो जेसन गिलेस्पी ने मुझे समाधान बताया।”
रणजी मैच खेलने के बारे में ईशांत ने कहा, “मैं ज्यादा सोचता नहीं हूं, लेकिन कोई भी चीज मैच का स्थान नहीं ले सकती। जब आप विकेट लेते हो तो आप अपने आप लय में रहते हो। अभी टेस्ट सीरीज में लंबा ब्रेक है। जब आप इस स्तर पर लगातार खेलते हो तो आपको पता होता कि वर्कलोड को किस तरह से मैनेज करना है। मैं इस बारे में ज्यादा नहीं सोचता। मैं लोड लूंगा, जितने ओवर करने की जरूरत होगी करूंगा और तब तक गेंदबाजी करूंगा जब तक विपक्षी टीम आउट नहीं हो जाती।”
भारतीय टीम का तेज गेंदबाजी आक्रमण देश के इतिहास में अभी तक का सबसे बेहतरीन गेंदबाजी आक्रमण है। ईशांत ने कहा कि वह इसका हिस्सा होकर काफी खुश् हैं।
उन्होंने कहा, “हमें गर्व होता है। उम्मीद है आपको भी होता होगा। हम तीनों (शमी और उमेश) ने शुरुआत की थी लेकिन शुरुआत में अनुभव की कमी थी। इसलिए हमें लगातार विकेट नहीं मिलते थे। अब हमें अनुभव है और हम अपनी गेंदबाजी के बारे में ज्यादा जानते हैं। यह समय के साथ आता है।”
उन्होंने कहा, “हम अपने अनुभव साझा करते हैं। सिर्फ मैं नहीं बल्कि वह लोग भी पिच, स्थिति के बारे में अपना फीडबैक देते हैं। बातचीत अब पहले से कई ज्यादा अच्छी है। पहले हम एक दूसरे को ज्यादा नहीं जानते थे, लेकिन अब बातचीत अच्छी होती है।”