इस्लामाबाद, 15 मई (आईएएनएस)| ईशनिंदा के मामले में ईसाई महिला आसिया बीबी को मौत की सजा से बचाने के लिए कानूनी लड़ाई को सफलतापूर्वक लड़ने वाले वकील सैफूल मलूक अब पाकिस्तान में इसी तरह के मामले में मौत की सजा पाए एक ईसाई दंपति का मुकदमा लड़ेंगे।
ईसाई महिला आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। आठ साल जेल में बिताने के बाद उन्हें मामले में बरी किया गया था।
‘द गार्डियन’ ने बुधवार को बताया कि शगुफ्ता कौसर और शफकत मसीह पर एक मुस्लिम शख्स को ईशनिंदा वाला टेक्स्ट मैसेज भेजने का आरोप है। दोनों को मौत की सजा सुनाई गई है, लेकिन लाहौर के उच्च न्यायालय में दोनों ने अपील की है।
पिछले साल अक्टूबर में आसिया बीबी को बरी किए जाने के बाद धमकी मिलने पर कुछ समय के लिए पाकिस्तान छोड़कर चले जाने वाले वकील मलूक, दंपति को 2014 में सुनाई गई सजा के खिलाफ अपील करेंगे।
पंजाब प्रांत के गोजरा के रहने वाले दंपति के चार बच्चे हैं। गोजरा में कौसर एक चर्च स्कूल में सफाईकर्मी के रूप में काम करती थीं। शहर के एक मुस्लिम शख्स ने अपने मस्जिद के अधिकारियों से शिकायत की थी कि उसे फोन पर अंग्रेजी भाषा में ईशनिंदा वाले संदेश भेजे गए और शिकायत पुलिस तक भेजी गई।
कौसर और मसीह को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर ‘कुरान का अपमान करने’ और ‘पैगंबर का अपमान करने’ का आरोप लगाया गया।
विकलांग मसीह ने पहले तो संदेश भेजने की बात स्वीकार किया था लेकिन बाद में कहा कि उसने पत्नी की सुरक्षा को लेकर डर के चलते ऐसा किया।
दंपति अनपढ़ हैं और अंग्रेजी में संदेश नहीं भेज सकते। दोनों ने यह भी कहा कि टेक्स्ट मैसेज भेजने के लिए जिस सिम कार्ड का इस्तेमाल किया गया, वह कौसर का पहचान पत्र खो जाने के बाद उसके नाम पर खरीदा गया था।
मलूक ने कहा कि इनके मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं की गई और ये निर्दोष हैं।