ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने रविवार को कहा कि “तेहरान अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से अभूतपूर्व दबाव झेल रहा है और देश आर्थिक स्थिति इराक के साथ साल 1980-88 की जंग के दौर से ज्यादा बुरी है।” अमेरिका ने ईरान के साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़कर सभी प्रतिबंधों को लागू कर दिया था।
युद्ध से ज्यादा हालात खराब
राष्ट्रपति रूहानी पर घरेलू राजनितिक दबाव भी है। उन्होंने सभी राजनीतिक पक्षों से एकजुट होकर प्रतिबंधों के प्रभावों को कम करने की मांग की है। साल 1980 में इराक ने सद्दाम हुसैन के शासन में ईरान पर आक्रमण कर दिया था और इसमें अमेरिका ने सद्दाम हुसैन का समर्थन किया था।
बीबीसी के मुताबिक हसन रूहानी ने कहा कि “आज, यह नहीं कहा जा सकता है कि हालात युद्ध के दौर से बुरे है या बेहतर है। लेकिन जंग के दौरान हमें बैंकिंग प्रणाली, तेल बेचने और आयात या निर्यात में कोई समस्या नहीं थी, सिर्फ हथियार खरीदने पर प्रतिबन्ध लागू थे।”
राष्ट्रपति रूहानी की आलोचना
उन्होंने कहा कि “हमारी इस्लामिक क्रांति के इतिहास में दुश्मनो के द्वारा डाला जा रहा दबाव अभूतपूर्व है। लेकिन हम निराश नहीं है हमें बेहतर भविष्य की उम्मीद है और यक़ीनन हम एकजुट होकर इन मुश्किल चुनौतियों से पार पा लेंगे।” ईरान और अमेरिका के बीच तनाव में इजाफा हो रहा है।
डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ने के बाद आलोचकों ने हसन रूहानी की काफी निंदा की थी क्योंकि रूहानी ने इस संधि का समर्थन किया था। इस संधि के बाद ईरान के करीबी सहयोगियों ने राष्ट्रपति रूहानी से मुंह फेर लिया था।
प्रतिबंधों के आलावा पेंटागन ने रविवार को मध्य पूर्व में पेट्रियट मिसाइल डिफेन्स बैटरी और नौसैन्य जहाज की तैनाती की मंज़ूरी दे दी थी। हाल ही में अमेरिका ने मध्य पूर्व में यूएसएस अब्राहम लिंकन कर्रिएर स्ट्राइक ग्रुप और एक बमवर्षक सेना की तैनाती की थी।
वांशिगटन ने आठ मुल्कों को ईरानी तेल खरीदने की रिआयत दी थी और छह माह के भीतर इसे शून्य करने की धमकी भी दी थी। हाल ही में अमेरिका ने इस रिआयत को भी खत्म कर दिया है।