अमेरिका के ईरान पर प्रतिबन्ध थोपने से दोनों राष्ट्रों के मध्य तल्खियां काफी हद तक बढ़ गयी है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि अमेरिका तेहरान के शासन में परिवर्तन के मंसूबे रखता है। इस्लामिक गणतंत्र के पिछले चार दशकों में अभी का सत्तासीन अमेरिका प्रशासन सबसे अधिक क्रूर है।
जाहिर है अमेरिका ने ईरान के साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था। अमेरिकी प्रशासन के इस निर्णय के बाद दोनों राष्ट्रों के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है।
हसन रूहानी ने एक भाषण के दौरान कहा कि पिछले 40 वर्षों में कोई अमेरिकी शासक ईरान और इस्लामिक गणराज्य के साथ इतना द्वेषपूर्ण नहीं रहा जितना सत्तासीन अमेरिकी प्रशासन है।
तेहरान विश्वविद्यालय में भाषण के दौरान ईरानी राष्ट्रपति ने कहा एक समय था जब एक व्यक्ति द्वेष भाव रखता था लेकिन उसके इर्द गिर्द सभी नरम स्वभाव के थे। अब अमेरकी प्रशासन में सभी क्रूर लोगों का जमावड़ा हैं।
हसन रूहानी ने अमेरिका पर आर्थिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध के प्रारम्भ का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने ऐसी स्थिति में इस्लामिक गणराज्य के अस्तित्व पर भी प्रश्न चिन्ह भी उठाये।
हसन रूहानी ने कहा कि इस्लामिक गणतंत्र की वैधता को कम कर वे अपने मंसूबों को कामयाब करना चाहते हैं। उन्होंने कहा शासन में बदलाव कैसे होगा। इस्लामिक वैधता को कम करके परिवर्तन करना चाहते हैं क्योंकि बिना वैधता कम किये परिवर्तन संभव नहीं हो सकता।
अमेरिका ने तेहरान पर अगस्त में प्रतिबन्ध लगा दिए थे। जिससे ईरान का मुद्रा व्यापार, धातु और विनिर्माण भाग प्रभावित हुआ था।
अमेरिका अगले माह से ईरान पर दूसरे चरण के प्रतिबन्ध लागू करने वाला है इसलिए वांशिगटन ने सहयोगी देशों और साझेदारों को ईरान से तेल सौदा शून्य करने की हिदायत दी है। ईरान को भय है कि 2012-15 से कठिन प्रतिबंधों के दौर की तरह कही इस बार भी ईरानी अर्थव्यवस्था चरमरा न जाए।
हालाँकि इस बारे में आपको बता दें कि अंतराष्ट्रीय न्यायालय नें अमेरिका को यह कहा था कि मानवीय आधारों पर ईरान पर लगाये गए प्रतिबंधों को माफ़ कर दे।
ईरान के उपराष्ट्रपति ने कहा अमेरिका ईरानी तेल के निर्यात को शून्य करने के मंसूबों में कामयाब नहीं हो पायेगा। अमेरिका सोचता है कि सऊदी अरब ईरानी तेल की जगह ले पायेगा। उन्होंने बताया की ईरानी तेल 80 डॉलर के पार पहुंच गया है। पिछले वर्ष के माफिक ईरान इस साल भी इतना ही निर्यात करेगा और आय अर्जित करेगा।
जाहिर है इससे पहले ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी नें भी अमेरिका को इस बारे में चेतावनी दे डाली है। उन्होनें कहा था कि अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंधों की वजह से ईरान के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।