सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने बाढ़ से जूझ रहे दुश्मन ईरान को 95 टन सामग्री अनुदान में दी है। इस सहायता सामग्री में भोजन और शिविरों के लिए सामान शामिल है। सऊदी अरब के बादशाह सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मंज़ूरी के बाद सऊदी रेड क्रिसेंट अथॉरिटी ने यह सामान डिलीवर किया है।
इस राहत अभियान में यूएई की रेड क्रिसेंट भी शामिल थी। इस राहत पैकेज पर अभी ईरान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। 19 मार्च से ईरान में मूसलधार बारिश के कारण 76 लोगो की मौत हो चुकी है और इसे देश में करीब 2.5 डॉलर का नुकसान हुआ है।
तेहरान ने शिकायत की कि अमेरिका के प्रतिबन्ध राहत प्रयासों में बाधा पंहुचा रहे हैं। बीते वर्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और तेहरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था। इन प्रतिबंधों ने ईरानी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है।
आर्थिक आतंकवाद का प्रयोजककर्ता अमेरिका
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को कहा कि “अमेरिका को बाढ़ के कारण एक वर्ष के लिए प्रतिबंधों को हटा देना चाहिए। बैंको पर प्रतिबन्ध हटाने चाहिए क्योंकि इस कारण विदेशों से वित्तीय सहायता लेना असंभव हो रहा है। अमेरिकी सरकार का प्रमुख अपना असल अमानवीय और शातिर प्रवृत्ति का खुलासा कर रहा है।”
ईरान के विदेश मंत्री जावेद ज़रीफ़ ने कहा कि “प्रतिबंधों को थोपकर अमेरिका आर्थिक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।” बाढ़ के दौरान ईरान ने पडोसी मुल्कों पाकिस्तान और कुवैत से सहायता राशि ली थी। साथ ही फ्रांस, जर्मनी और जापान ने भी ईरान की मदद की थी।
शिया बहुल ईरान के साथ पारंपरिक दुश्मनी होने के बावजूद सऊदी अरब और यूएई का यह कदम काफी आश्चर्यचकित है। मध्य एशिया में लम्बे समय से जारी युद्ध में खाड़ी देशों के सबसे विशाल तेल उत्पादक हमेशा एक-दुसरे के विपक्षियों का समर्थन करते हैं।
रियाद ने साल 2016 में ईरान के साथ सभी कूटनीतिक संबंधों को तोड़ किया था क्योंकि एक शिया बुद्धिजीवी को फांसी पर चढ़ाया गया था और इससे खफा होकर ईरानी प्रदर्शनकारियों ने तेहरान में सऊदी दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया था।