सऊदी अरब ने मंगलवार को अरामको तेल कंपनियों पर हमले का कसूरवार ईरान को ठहराया है और कहा कि “शुरूआती जांच में यह खुलासा हुआ है कि तेल साइट्स पर ड्रोन हमले के लिए ईरान के हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।”
ट्वीटर पर जारी बयान के मुताबिक, सल्तनत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि “आक्रमकता और नुकसान पंहुचाने के भयावह कृत्य में वैश्विक ऊर्जा के लिए जरुरी सल्तनत की दो पेट्रोलियम स्थानों को निशाना बनाकर रविवार को हमला किया गया था। इसके कारण सऊदी अरामको के उत्पादन में करीब 50 फीसदी पर रोक लग गयी है।”
ऊर्जा मंत्रालय के बयान के मुताबिक “शुरूआती जांच में यह उजागर होता है कि सल्तनत की तेल कंपनियों पर हमले के लिए ईरान के हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। सल्तनत इस घृणित अपराध की कड़ी निंदा करती है जिसने अंतरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न किया हो। हम जानते हैं कि इस हमले का प्रमुख निशाना वैश्विक ऊर्जा सप्लाई पर हमला करना था।”
उन्होंने कहा कि “ईरान के हथियारों का इस्तेमाल कर पिछली दफा सऊदी अरामको के पम्पिंग स्टेशन को निशाना बनाया गया था।” सऊदी ने अंतररष्ट्रीय समुदाय की सराहना की है जिन्होंने इस कृत्य की निंदा और आलोचना की है।
बयान में उन्होंने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस कृत्य की आलोचना करके जिम्मेदाराना रवैया दिखाया है और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बने इस लापरवाह रवैये के खिलाफ स्पष्ट और दृढ स्थिति प्रदर्शित की है। हम यूएन और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को जमीन पर हालातो का जायजा लेने और जांच में सहभागी बनने के लिए आमंत्रित करते हैं।”
सऊदी अरब की तरफ से आये बयान में कहा कि “जांच के आधार पर वह पर्याप्त कदम उठाएंगे ताकि सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके। सल्तनत के मुताबिक उनके समक्ष सरजमीं और लोगो की रक्षा की काबिलियत और ताकत है और इस आक्रमकता का जवाब सख्ती से दे सकते हैं।”
हाला ही में ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि “यमन की जनता को आत्मरक्षा का अधिकार है। ड्रोन हमले के मामले में मैं सुरक्षा मामले को रेखांकित करना चाहूँगा। हर रोज यमन में बमबारी की जाति है और मासूम नागरिको की हत्या होती है। सऊदी अरब के यमन के खिलाफ रोजाना हथियारों के इस्तेमाल से तंग आकर यमन के नागरिकों को मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा है। यमन के नागरिक खुद को इन हमले से बचा रहे हैं।”