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    मंगलवार को इब्राहिम रईसी ने ईरान के राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला। रईसी के शासन काल में ईरान की उम्मीद विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते को पुनर्जीवित कर एक गंभीर आर्थिक संकट को दूर करने की है।

    ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अपने चीफ ऑफ स्टाफ द्वारा पढ़े गए एक डिक्री में लिखा कि, “लोगों की पसंद के बाद, मैं ईरान के इस्लामी गणराज्य के राष्ट्रपति के रूप में बुद्धिमान, अथक, अनुभवी और लोकप्रिय होजातोलेस्लैम इब्राहिम रईसी को पद देता हूं।”

    इब्राहिम रईसी एक रूढ़िवादी नेता हैं जो उदारवादी राष्ट्रपति हसन रूहानी की जगह लेंगे। हसन रूहानी की ऐतिहासिक उपलब्धि ईरान और छह प्रमुख शक्तियों के बीच 2015 का परमाणु समझौता था। शुरू से ही इब्राहिम रईसी को परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से बातचीत से निपटना होगा जिससे अमेरिका एकतरफा व्यापक प्रतिबंध वापस ले ले।

    60 वर्षीय रईसी को पिछले हफ्ते एक घातक टैंकर हमले पर ईरान को संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल की चेतावनियों का भी सामना करना पड़ा। हालांकि, तेहरान इस हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार करता है।इब्राहिम रईसी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि नई सरकार “दमनकारी” अमेरिकी प्रतिबंधों को हटवाने की कोशिश करेगी लेकिन “हम देश के जीवन स्तर को विदेशियों की इच्छा से नहीं चलने देंगे।”

    उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि हमारे दुश्मनों की रणनीति और देश के अंदर की कमियों और समस्याओं के कारण लोगों की आर्थिक स्थिति प्रतिकूल है।” अपनी प्रतिक्रिया में अयातुल्ला अली खामेनेई ने स्वीकार किया कि ईरान “कई कमियों और समस्याओं” से पीड़ित है, लेकिन साथ ही जोड़ा: “देश की क्षमताएं और भी अधिक हैं। आर्थिक समस्याओं को ठीक करने में समय लगता है और यह रातों-रात नहीं किया जा सकता है।”

    एक पूर्व न्यायपालिका प्रमुख के रूप में इब्राहिम रईसी के मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए पश्चिम द्वारा उनकी आलोचना की गई है। उनकी 2020 की संसदीय चुनाव जीत के बाद रूढ़िवादियों के हाथों में सत्ता को मजबूत करेगी। 2015 के परमाणु समझौते में ईरान ने प्रतिबंधों में ढील के बदले में अपनी परमाणु क्षमताओं पर प्रतिबंधों को स्वीकार किया। लेकिन तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तीन साल बाद समझौते से पीछे हट गए और प्रतिबंधों को फिर से बढ़ा दिया, जिससे तेहरान अपनी अधिकांश परमाणु प्रतिबद्धताओं से पीछे हट गया।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

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