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    ईरान की बैलिस्टिक मिसाइल

    अमेरिका ने गुरूवार को ईरान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के नियमो की अनदेखी कर दिसंबर से एक बैलिस्टिक मिसाइल के परिक्षण और दो सॅटॅलाइट लांच करने का आरोप लगाया था। उन्होंने परिषद् से ईरान पर कठोर प्रतिबंधों को थोपने का अनुरोध किया था।

    साल 2015 की संधि के अनुसार ईरान को बैलिस्टिक मिसाइल पर कार्य को रोकना होगा। इस समझौते पर छह ताकतवर देशों ने हस्ताक्षर किये हैं। कुछ राज्यों के अनुसार यह भाषा ईरान को मिसाइल परिक्षण को रोकने के लिए अनिवार्य नहीं करेगी।

    रायटर्स के मुताबिक 15 सदस्यीय परिषद् में कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत जोहनाथन कोहेन ने कहा कि “ईरान ने 1 दिसंबर 2018 को मेडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल का परिक्षण किया था और सॅटॅलाइट को ऑर्बिट में 15 जनवरी और 5 फरवरी को स्थापित करने का प्रयास भी किया था।

    उन्होंने कहा कि “ऐसे भड़काऊ कदम समस्त मिडिल ईस्ट को स्थिरता को भंग करेंगे।” यूएन में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अलीरजा मीरयूसुफी ने कहा कि “ईरान के पास कोई बैलिस्टिक मिसाइल नहीं है जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हो। यूएन के प्रस्ताव में शामिल किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण ईरान ने नहीं किया है।

    दिसंबर में आयोजित सुरक्षा परिषद् की बैठक में अमेरिकी रक्षा सचिव माइक पोम्पिओ ने संस्था से आग्रह किया कि ईरान को बैलिस्टिक मिसाइल की गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर भाषा में समझाना आवश्यक है। अमरीका ने अभी सुरक्षा परिषद् के समक्ष कोई कठोर प्रतिबन्ध वाला प्रस्ताव पेश नहीं किया है। हालाँकि ऐसे किसी कदम का विरोध करते हुए रूस और चीन वीटो पावर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

    यूएन न्यूक्लियर वाचडॉग के ईरान को क्लीनचिट देने के बाद संयुक्त राष्ट्र के अधिकतर प्रतिबन्ध साल 2016 में हटा दिए गए थे। ईरान पर यूएन के प्रतिबन्ध और पाबन्दी साल 2015 में हुई संधि के तहत थे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में ईरान के साथ हुई इस संधि को खारिज कर दिया था। तेहरान पर वापस सभी प्रतिबन्ध थोप दिए थे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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