ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमेनेई ने मंगलवार को कहा कि “तेहरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के वार्ता के प्रस्ताव के धोखे में नहीं फंसेगा और अपने मिसाइल कार्यक्रम का परित्याग नहीं करेगा।” अमेरिका और ईरान के बीच बीते एक महीने से संघर्ष का दौर जारी है।
अमेरिका ने बीते वर्ष साल 2015 में ईरान के साथ हुई परमाणु संधि से अपना नाम वापस ले लिया था और इसके एक वर्ष पूरे होते ही दोनों मुल्कों के बीच चरम पर है। संधि तोड़ने के बाद अमेरिका ने तेहरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था।
डोनाल्ड ट्रम्प ने इस परमाणु संधि की आलोचना की जो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में की गयी थी। उन्होंने कहा कि “यह संधि स्थायी नहीं है और ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और मध्य पूर्व में संघर्षों में भूमिका को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।
उन्होंने ईरान से बातचीत करने के लिए टेबल पर आने की मांग की ताकि एक नयी संधि की जा सके। डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते हफ्ते कहा कि “ईरान के समक्ष इसी नेतृत्व के साथ एक महान देश बनने का मौका है। हम शासन को बदलने की तरफ नहीं देख रहे हैं। मैं इसे स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि हम सिर्फ परमाणु हथियार न होने की तरफ देख रहे हैं।”
इस टिप्प्णी पर प्रतिक्रिया देते हुए ईरान के सर्वोच्च नेता ने कहा कि “अमेरिका के राष्ट्रपति ने हाल ही में कहा कि मौजूदा नेताओं के साथ ईरान विकास कर सकता है। इसका मतलब वे शासन में परिवर्तन नहीं चाहते हैं लेकिन यह ट्रिक ईरानी अधिकारियो और राष्ट्र को झांसा नहीं दे सकती है।”
इस्लामिक रिपब्लिक ईरान के संस्थापक अयातुल्ला रूहुल्लाह खोमैनी की 30 वीं पुण्यतिथि के आयोजन पर सर्वोच्च नेता ने कहा कि “उन्हें मालूम है कि मिस्सिल्ले कार्यक्रम में हम स्थिरता और निवारब तक पंहुच चुके हैं। वे हमें इससे भटकाना चाहते हैं लेकिन वह इसमें कभी कामयाब नहीं होंगे।”
उन्होंने कहा कि “अमेरिका के प्रतिबंधों ने ईरान नागरिकों के लिए मुश्किलात पैदा कर दिए हैं और सरकार से आर्थिक हालातो को सुधारने को अपनी शीर्ष प्राथमिकता में रखने की मांग की है।”
राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बीते हफ्ते नरम रुख अपनाते हुए कहा था कि “अगर अमेरिका प्रतिबंधों को हटा देता है और सम्मान प्रदर्शित करता है तो ईरान भी बातचीत करने के इच्छुक होगा।”