अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पियों ने बुधवार को कहा कि “दोनों देशो के बीच तनाव पर वार्ता के लिए वह ख़ुशी से तेहरान जाना जायेंगे।” पोम्पियो ने ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में बताया कि प्रतिबंधो के पीछे अमेरिका के कारणों को ईरानी टीवी पर समझाते हुए दिखने के लिए इच्छुक है।”
ईरान से बातचीत के इच्छुक अमेरिका
उन्होंने कहा कि “मैं ईरान की जनता से प्रत्यक्ष तौर पर वार्ता के मौके का स्वागत करता हूँ, उनके नेतृत्व ने क्या किया है और कैसे इससे ईरान को नुकसान पंहुचा है।” राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ 2015 में हुई वैश्विक परमाणु संधि को तोड़ दिया था और उनपर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था।
इन प्रतिबंधों के बाद दोनों देशों के सम्बन्ध काफी बिगड़ गए हैं। अमेरिका ने दावा किया कि उन्होंने बीते हफ्ते संभावित दो ईरानी ड्रोन को मार गिराया था। साथ ही खाड़ी जलमार्ग पर तेल टैंकर पर सिलसिलेवार रहस्यमय हमलो का जिम्मेदार अमेरिका ने ईरान को ठहराया था।
तेहरान ने जून में एक अमेरिकी एयरक्राफ्ट को मार गिराया था, जिसके बाद ट्रम्प ने ऐलान किया कि उन्होंने प्रतिकारी हमले से कुछ समय पूर्व ही इसे रोक दिया था क्योंकि इससे मरने वालो का आंकड़ा काफी ज्यादा था। अमेरिका के आला राजनयिक ने यूएन में बीते हफ्ते आरोप लगाया कि अमेरिका प्रतिबंधों का इस्तेमाल आर्थिक आतंकवाद को बढाने के लिए कर रहा है।
विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरीफ ने कहा कि “ईरानी नागरिक आर्थिक आतंकवाद के सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। अवैध राजनीतिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए मासूम ईरानी नागरिकों को निरंतर निशाना बनाया जा रहा है।”
माइक पोम्पियों ने इन आरोइप को खारिज किया और कहा कि जरीफ का ईरानी सरकार पर कोई ज्यादा दबदबा नही है, जैसे चाँद पर एक व्यक्ति का नहीं होता है। आखिर में इस पहिये को अयातुल्ला ने ही चलाना है। अमेरिका का लक्ष्य मध्य पूर्व में स्थिरता को कायम करना है। इसलिए हमने संधि को तोड़ा था, हमने उन्हें पैसे देना रोक दिया था, हमने ईरानी सरकार पर दबाव बनाया और उनके अपनी मौजूदा रवैये पर सख्त निर्णय लेने के लिए मजबूर किया था।”
उन्होंने कहा कि “हम ईरान की सरकार के व्यवहार में परिवर्तन चाहते हैं ताकि ईरानी जनता को वो सब मील सके जिसकी वे हकदार है।”