ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को बाढ़ पर अमेरिका की प्रतिक्रिया को दोषपूर्ण कहा था। ईरान में भयंकर बाढ़ से 76 लोगो मौत हो चुकी है और 19 मार्च से अरबो रूपए का नुकसान हुआ है। ईरान की रेड क्रिसेंट लगातार आरोप लगाती रही है कि अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण विदेशों से अनुदान ले पाना नामुमकिन होता जा रहा है।
हसन रूहानी ने कहा कि “वांशिगटन हमेशा दावा करता है कि वह ईरानी जनता के साथ बेहतर हैं और सिर्फ ईरान की सरकार को ही इससे दिक्कत है। लेकिन रेड क्रिसेंट की सहायता को रोक कर अमेरिका उन दावों को झूठा साबित कर रहा है।”
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते वर्ष ईरान के साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और दोबारा सभी प्रतिबंधों को थोप दिया था। इससे तेहरान का तेल निर्यात और बंकिन प्रणाली की कमर टूट गयी है। ईरानी मुद्रा धड़ल्ले से गिर रही है।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज के मुताबिक, करीब 20 लाख लोगो को मानवीय सहायता की जरुरत है और 15 वर्षों से अधिक में ईरान पर आयी सबसे बड़ी आपदा है।
उन्होंने कहा कि “अमेरिका की सरकार के प्रमुख ने अपनी असल शातिर और अमानवीय स्वाभाव का खुलासा किया है। यह बाढ़ अमेरिकी नेतृत्व की ऐतिहासिक परीक्षा थी। अमेरिका को बाढ़ के कारण एक वर्ष के लिए प्रतिबंधों को हटा देना चाहिए। बैंको पर प्रतिबन्ध हटाने चाहिए क्योंकि इस कारण विदेशों से वित्तीय सहायता लेना असंभव हो रहा है।”
ईरान के विदेश मंत्री जावेद ज़रीफ़ ने कहा कि “प्रतिबंधों को थोपकर अमेरिका आर्थिक आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।” बाढ़ के दौरान ईरान ने पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और कुवैत से सहायता राशि ली थी। साथ ही फ्रांस, जर्मनी और जापान ने भी ईरान की मदद की थी।