ईरान ने औपचारिक तौर पर यूरोपीय संघ को परमाणु शोध और विकास में असीमित विस्तार का कार्य शुक्रवार से शुरू करने की सूचना दे दी है। अमेरिका ने साल 2015 की परमाणु संधि का उल्लंघन किया है और इसकी प्रतिक्रिया में यूरोप की कार्रवाई में बहुत कमी रही है।
ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने ईयू की विदेश नीति की प्रमुख फेडेरिका मोघेरिनी को गुरूवार को बता दिया है कि ईरान अपनी परमाणु संधि की कुछ और प्रतिबद्धताओं से पीछे हट रहा है और इसका कारण तीन यूरोपीय देशो की असक्षमता है।
ईरान की कार्रवाई
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसावी ने कहा कि “परमाणु संधि से अमेरिवा के बाहर निकलने के प्रभावों के कारण और यूरोपीय देशो की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में नाकामी के कारण और जॉइंट कमीशन की विज्ञप्ति के कारण ईरानपरमाणु शोध और विकास के सम्बन्ध में परमाणु संधि की सभी प्रतिबद्धताओं को निलंबित कर रहा है।”
गुरूवार रात को बयान में मौसावी ने कहा कि “परमाणु संधि के व्यापक और निरंतर उल्लंघन के कारण यह तेहरान का तीसरा कदम है। अमेरिका ने 16 महीने पहले इस संधि से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने बताया कि परमाणु संधि के अनुच्छेद 36 के तहत ईरान का प्रतिक्रिया का अधिकार सुरक्षित है।
मौसावी के मुताबिक, ईरान जल्द अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा विभाग को अपनी आरएंडडी की प्रतिबद्धताओं को निलंबित करने के निर्णय के सभी तकनीकी और संचालित पहलुओं की जानकारी देगा। उन्होंने कहा कि “तेहरान के यह सभी कदम परिवर्तनीय है, एक बार यदि शेष सदस्य संधि में पूरी तरह वापस आ जाए।”
मौसावी ने कहा कि ईरान संधि के शेष सदस्यों से वार्ता करना जारी रखेगा। यूरोपीय परिषद के प्रवक्ता कार्लोस मार्टिन रिज़ डे गोर्देजुएला ने कहा कि “यह निर्णय परमाणु संधि के साथ असंगत है। उन्होंने ईरान से इन कदमो को वापस लेने और अधिक कार्रवाई से संयमता बरतने की मांग की है।”
फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि “ईरान को ऐसे निर्णय लेने से बचना चाहिए जो परमाणु समझौते को नजरंदाज़ करे।” ब्रिटेन के विदेश विभाग ने चिंता व्यक्त की है और ईरान के निर्णय को खेदजनक करार दिया है।