ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने शुक्रवार को चीन की यात्रा की थी। इसका मकसद वैश्विक बाज़ार को ईरान के लिए खुले रखना था। अमेरिका ने ईरान पर कड़े प्रतिबंधों को थोप दिया है और पर्शियन गल्फ में तनाव काफी ज्यादा हो गया है। अमेरिका ने हाल ही में मध्यपूर्व में युद्धपोत और बमवर्षक की तैनाती के आदेश दिए थे।
ईरान की तरफ से अज्ञात खतरे के कारण अमेरिका ने इराक से गैर आपात कर्मचारियों को वापस मुल्क लौटने का आदेश दे दिया है। रविवार को संयुक्त अरब अमीरात के तट पर चार टैंकरों को निशाना बनाकर क्षतिग्रस्त किया गया था। मंगलवार को सऊदी अरब की तेल पाइपलाइन पर ड्रोन से हमला किया गया था जिसके जिम्मेदार यमन के हूथी विद्रोहियों ने ली थी।
ड्रोन से हमले पर सऊदी अरब ने सीधे ईरान के सिर पर गुनाह का ठिकड़ा फोड़ दिया है। राजशाही से जुड़े एक अखबार के मुताबिक, सऊदी ने अमेरिका से तेहरान पर सर्जिकल स्ट्राइक लांच करने की मांग की है और यह सब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के संधि तोड़ने के निर्णय की वजह से हो रहा है।
डोनाल्ड ट्रम्प ने बीते वर्ष ईरान और वैश्विक के साथ साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और तेहरान पर वापस व्यापक स्तर के प्रतिबंधों को थोप दिया था।
ईरान के जनरल रसूल ने कहा कि “प्रतिबंधों को थोपकर, वार्ता की इच्छा जाताना तो किसी की कनपट्टी पर बन्दूक रखकर दोस्ती की मांग करने जैसा है।” शुक्रवार को जावेद जरीफ अपने चीनी समकक्षी से बातचीत के लिए बीजिंग पंहुचे थे। चीन ने भी साल 2015 के समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
जावेद जरीफ ने आईआरएनए न्यूज़ के हावले से कहा कि “संधि को बचाने की बजाये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय बयानबाजी कर रहा है। वास्तविक कदम एकदम स्पष्ट है कि ईरान के साथ आर्थिक संबंधों को सामान्य होना चाहिए। समझौते में यह स्पष्ट है।” जरीफ ने इससे पूर्व जापान की यात्रा की था।