ईरान द्वारा परमाणु संधि का उल्लंघन कर यूरेनियम संवर्धन को बढाने से रूस चिंतित है। यूरेनियम की मात्रा साल 2015 के परमाणु समझौते के तहत तय थी। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने सोमवार को कहा कि “वह इस संधि को बचाने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को जारी रखेगे।”
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि “वाकई यह हालात बेहद चिंतित करने वाले हैं। रूस का मकसद वार्ता को जारी रखना है और कूटनीतिक वार्ता के प्रयासों को करना है। हम अभी भी परमाणु संधि के समर्थक है।” ईरान और अमेरिका के बीच संधि को लेकर तनाव काफी हद तक बढ़ गया है।
उन्होंने कहा कि “ईरान का ऐलान अमेरिका द्वारा इस ऐतिहासिक समझौते से बाहर निकलने का ही एक परिणाम है। रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन परिणाम भुगतने की चेतावनी देते हैं, जो दोनों में से एक देश द्वारा संधि से बाहर और अपनी प्रतिबद्धताओं को तोड़ने के निर्णय से उत्पन्न होगी।”
तेहरान ने रविवार को कहा कि “वह कुछ ही घंटो में यूरेनियम संवर्धन का उल्लंघन करेंगे।” ईरान ने ऐसे इरादे का इजहार सबसे पहले मई में किया था। मई में अमेरिका को इस संधि से एकतरफा तरीके से निकले हुए एक वर्ष पूरा हो गया था। इस संधि के शेष साझेदारो ने तेहरान से यूरेनियम संवर्धन का उल्लंघन नहीं करने का आग्रह किया था।
ईरान ने कहा कि “वांशिगटन द्वारा प्रतिबंधों को दोबारा थोपने के बाद अब उनकी बर्दाश्त करने के ताकत खत्म हो चुकी है। ईरान ने रविवार को अगले 60 दिनों में इस ऐतिहासिक संधि की अन्य प्रतिबद्धताओं से भी पीछे हटने की धमकी दी है और यह यूरोपीय देशो पर दबाव बनाने के लिए ताकि इस संधि को बचाया जा सके।