कच्चे तेल के कारोबार में भारत के लिए ईरान अब तक सबसे बड़ा साथी देश रहा है। तेल खरीदने के अलावा भी ऐसे कई मुद्दे हैं, जिनपर दोनों देशों के बीच सम्बन्ध काफी मजबूत हैं। पर हाल ही में अमेरिका के दबाव में आकर भारत को सोच समझ कर फैसले लेने की जरूरत पड़ रही है।
आपको बता दें कि अमेरिका और ईरान के बीच इस समय सम्बन्ध काफी नाजुक हैं। अमेरिका की ट्रम्प सरकार नें ईरान पर कई प्रकार के प्रतिबन्ध लगा रखे हैं। इसके अलावा अमेरिका नें घोषणा की है कि अन्य देश भी ईरान के साथ अपने संबंधों को कम करें। ऐसे में भारत विस्मय में है।
भारत नें अब तक बड़ी समझदारी से दोनों देशों से रिश्ते मजबूत किये हुए थे। लेकिन अब ऐसा लगता है कि अमेरिका के दबाव में आकर भारत ईरान से दूर जा रहा है।
रायटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत आने वाले महीनों में ईरान से आयात किये जाने वाले कच्चे तेल में आधे से ज्यादा कटौती करेगा। सितम्बर और अक्टूबर के महीनें में निर्धारित कच्चे तेल के आयात में भारत काफी हद तक कटौती करेगा।
अगले दो महीनें में भारत 12 मिलियन बैरल से भी कम कच्चा तेल ईरान से आयात करेगा।
आपको बता दें कि अमेरिका की ओबामा प्रशासन नें ईरान से एक न्यूक्लिअर डील की थी, जिसे ट्रम्प सरकार नें तोड़ दिया है। इसके साथ ही अमेरिका नें ईरान पर कई प्रतिबन्ध लगाये थे। अब हालाँकि अमेरिका कच्चे तेल को लेकर भी ईरान पर प्रतिबन्ध लगाने जा रहा है, जो इस साल नवम्बर 6 से लागू होंगें।
इसके अलावा आपको बता दें कि ईरान से सबसे ज्यादा कच्चा तेल लेने के मामले में भारत चीन से बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। इसके बावजूद भी भारत के लिए अमेरिका को मनाना ज्यादा जरूरी है।
भारतीय तेल मंत्रालय नें इससे पहले जून के महीनें में तेल कंपनियों को कहा था कि वे ईरान से तेल आयात में कमी करने के लिए तैयार हो जाएँ।
तेल मंत्रालय से जुड़ी अमृता सेन नें रायटर्स को बताया, “कई तेल की कंपनियों नें या तो तेल आयात में कटौती कर ली है, या फिर अपने आपको इस बात के लिए तैयार कर लिया है, जिससे भविष्य में आदेश मिलने पर वे पूरी तरह से तेल आयात में कटौती कर सकें।”
इस बारे में पिछले सप्ताह भारत आये अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी माइक पोम्पोई नें कहा था कि अमेरिका भारत पर लगे प्रतिबन्ध हटा सकता है, यदि भारत ईरान से आयात में कटौती करे तो।
भारत के लिए एक बड़ी समस्या यह है कि यदि वह ईरान के अलावा कहीं और से तेल आयात करता है, तो उसे काफी महंगे दामों में तेल मिलेगा। ऐसे में जिस प्रकार भारत का रुपया बाजार में गिर रहा है, भारत के लिए यह काफी कठिन होगा।
सरकार नें ऐसे में कहा है कि वह अमेरिका और ईरान दोनों से बातचीत कर रहा है, जिससे इसका कोई बेहतर हल निकाला जा सके।
एक सरकारी अधिकारी नें बताया, “हमारे रिश्ते अमेरिका और ईरान दोनों से काफी ख़ास हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि कोई संतुलन निकाला जा सके जिससे आम जनता और तेल कंपनियों दोनों को फायदा पहुँच सके।”
लेकिन यदि अमेरिका ज्यादा ही सख्ती बरतता है, तो भारत को तेल आयात बंद करना ही पड़ेगा।
तेल आयात में आधे से ज्यादा कटौती
आपको बता दें कि अप्रैल से अगस्त के दौरान भारत नें ईरान से औसतन हर दिन 658,000 बैरल तेल आयात किया है। सितम्बर से भारत नें इसमें लगभग 50 फीसदी की कटौती कर इसे 360,000 बैरल तेल प्रतिदिन बना दिया है।
भारतीय तेल कंपनियों नें अपनी योजना की जानकारी इरानी तेल मंत्रालय को भेज दी है।