अमेरिका ने ईरान पर तेल का सौदा करने पर प्रतिबंध लगा रखे है। साथ ही अन्य राष्ट्रों को भी चेतावनी दे रखी है कि ईरान से 4 नवम्बर के बाद तेल की सौदिबाज़ी न करे वरना प्रतिबन्ध के लिए तैयार रहे।
भारत की जरुरत को देखते हुए अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने में रियायत देने के लिए रजामंदी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी प्रशासन ने इस मुद्दे पर भारत को बख्श दिया है और जल्द ही इसका आधिकारिक ऐलान भी हो जायेगा।
अमेरिका ने ईरान पर 4 नवम्बर से दुसरे चरण के प्रतिबन्ध लगाने का फरमान सुनाया था । अमेरिका ने कहा था कि प्रतिबंधो के पीछे उनका मकसद आतंकवादी इस्लामिक स्टेट के सबसे बड़े आर्थिक समर्थक पर रोक लगाना और परमाणु संधि के बाबत दोबारा बातचीत के लिए दबाव बनाना था।
अमेरिका ने कहा था कि अगर कोई देश या कंपनी बिना वांशिगटन के सलाह के ईरान के साथ व्यापार जारी रखता है तो वह उसकी अमेरिकी आर्थिक प्रणाली पर रोक लगा देंगे।
अमेरिका ने देशों को ईरान से तेल आयात शून्य करने को कहा था लेकिन कुछ देशों को जरुरत के मुताबिक रियायत देने को भी अमेरिका तैयार था। भारत और कुछ अन्य देश काफी समय से अमेरिका से रियायत के लिए बातचीत कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक भारत और अमेरिका रियायत की शर्तों के लिए तैयार है। भारत पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष ईरान से तेल आयात में 35 फीसदी कम करेगा। भारत ने 2017-18 में 22 मिलियन टन कच्चा तेल आयात किया था और 2018-19 में 30 मिलियन टन करने की योजना थी। हालांकि रियायत की शर्तों के मुताबिक अब भारत 14-15 मिलियन टन ही आयत कर पायेगा।
ईरान के तेल की कीमत का भुगतान भारतीय कंपनियां कैसे करेंगी इस पर बातचीत जारी है। सूत्रों के मुताबिक भारत 55 प्रतिशत कीमत का भुगतान यूरो में करेगा जबकि अन्य 45 प्रतिशत का भुगतान रूपए में अदा करेगा। अमेरिका ने कहा कि भारत ने यकीन दिलाया है कि भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल ईरान आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं करेगा।
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारत का ईरान से तेल सौदा जारी रखने के बाबत कहा था कि नई दिल्ली जल्द ही अमेरिका का फैसला जान जायेगा। अलबत्ता अमेरिका ने रियायत देकर भारत की कई परेशानियों को कम कर दिया है।