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    ईरान (Iran) और अमेरिका (America) के बीच तनाव के कारण तेहरान ने यूरोपीय देशों को परमाणु संधि को बचाने के लिए अल्टीमेटम दिया था। जर्मनी (Germany) और ब्रिटेन (Britain) ने सोमवार को तेहरान को साल 2015 में हुई परमाणु संधि की प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन नहीं करने के लिए आगाह किया है।

    यूरेनियम के उत्पादन में वृद्धि

    ईरान ने सोमवार को यूरेनियम भण्डार को बढ़ाने के लिए 10 दिनों की समयसीमा को तय किया था जिसके बाद वह प्रतिदिन 300 किलोग्राम यूरेनियम का उत्पादन करेंगे। परमाणु संधि पर ईरान और छह वैश्विक ताकतों ने हस्ताक्षर किये थे।

    डोनाल्ड ट्रम्प ने विगत वर्ष परमाणु संधि से अमेरिका को बाहर निकल लिया था और ईरान पर सभी प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था। इसके बाद से यूरोपीय संघ संधि को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। ईरान ने कहा कि “यदि अन्य पक्षों ने अपनी प्रतिबद्धताओं को नहीं निभाया तो हम 27 जून से 300 किलोग्राम यूरेनियम के उत्पादन के स्तर को पार कर जायेंगे।”

    ईरान संधि पर हस्ताक्षर किये अन्य देशों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इस संधि में चीन, जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस हैं। ईरान की मांग है कि अन्य देश अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद उनकी मदद करे और विशेषकर तेल बेचने में उनके मार्ग को सुगम बनाये।

     यूरोपीय देशों का बयान

    रायटर्स के मुताबिक जर्मनी के विदेश मंत्री हैको मॉस ने ईरान के अल्टीमेटम को खारिज किया और तेहरान से परमाणु संधि के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं पर कायम रहने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि “हमने पहले ही कह दिया है हम नुकसान के लिए नुकसान को स्वीकार नहीं करेंगे। अब यह ईरान पर है कि वह अपनी वादों पर अडिग रहे।”

    उन्होंने कहा कि “हम किसी भी हाल में एकतरफा संधि का पालन न करने के दावे को स्वीकार नहीं करेंगे।” ब्रितानी सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि इस समझौते में शामिल तीन यूरोपिय देशो ने निरंतर इस बात को स्पष्ट किया है कि संधि के पालन में कोई गैर जिम्मेदारी नहीं होगी।

    उन्होंने कहा कि “अभी के लिए ईरान को अपनी कानून प्रतिबद्धताओं पर कायम रहना चाहिए। हम अगले कदम के लिए तीन देशों के साथ समायोजन बना रहे हैं।” यूरोपीय संघ की कूटनीतिक प्रमुख फेडेरिका मोघेरिनी ने कहा कि “यह समूह ईरान की धमकियों पर कार्य नहीं करेगा बल्कि यूएन के परमाणु निगरानीकर्ता यानी अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट का इंतज़ार करेगा।”

    उन्होंने कहा कि “हमारा आंकलन कभी परमाणु समझौते के अमल पर नहीं था, न है और न ही बयानों पर आधारित रहेगा बल्कि यह आईएईए के आंकलन पर निर्धारित होगा, उनकी बनायीं रिपोर्ट पर होगा और यह कभी भी पूरी हो सकती है।”

    तेहरान और वांशिगटन के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। अमेरिका ने क्षेत्र में भारी सैन्य बल की तैनाती की है और ईरान के रेवोलूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स को एक विदेशी आतंकी संघठन घोषित किया है। अमेरिका ने बीते हफ्ते ओमान की खाड़ी में हुए हमले का जिम्मेदार ईरान को ठहराया है।

    8 मई को राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ऐलान किया था की ईरान यूरेनियम के संवर्द्धन और भारी जल के निर्माण में लगी  पाबंदियों को नहीं मानेगा जो साल 2015 के परमाणु समझौते के तहत थी। ईरान की परमणु ऊर्जा संघठन के प्रवक्ता बेहरोज़ कमलवंडी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “आज से 300 किलोग्राम यूरेनियम के संवर्धन करने की शुरुआत की गयी है और अगले 10 दिनों में हम इस स्तर को पार कर देंगे।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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