ईरान ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि के कुछ नियमों का अनुपालन करने के लिए खुद को असमर्थ कहा है और यूरेनियम के उत्पादन में वृद्धि का ऐलान किया था। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने बुधवार को कहा कि “ईरान 7 जुलाई के बाद जरुरत के मुताबिक यूरेनियम भंडार में इजाफा करेगा और उसकी जरुरत साल 2015 की ऐतिहासिक डील के 3.67 प्रतिशत से कई ज्यादा है।”
वैश्विक ताकते विफल हुई तो संधि खत्म
उन्होंने कहा कि “अगर वैश्विक ताकतों के साथ हुई परमाणु संधि के शेष साझेदारों ने अपने वादों को पूरा नहीं किया तो 7 जुलाई के बाद अरक न्यूक्लियर रिएक्टर अपनी पुरानी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जायेगा।” मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान ने तय यूरेनियम की मात्रा से अधिक उत्पादन किया है।
अमेरिका ने परमाणु संधि को बीते वर्ष तोड़ दिया था और इसके बाद वांशिगटन ने तेहरान पर प्रतिबंधों को थोप दिया था। दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। इस संधि के अन्य साझेदार जर्मनी, रूस, फ्रांस, चीन और यूरोपीय संघ है और अभी संधि में बरक़रार है।
ईरान से फैसला बदलने की मांग की
यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के कूटनीति प्रमुखों ने मंगलवार को बताया कि वह बेहद चिंतित है और ईरान से यूरेनियम संवर्द्धन की मात्रा अधिक करने के अपने निर्णय को वापस लेने का आग्रह किया है। इसके आलावा चीन ने भी ईरान के फैसले पर खेद व्यक्त किया है।
इस संधि को बचाने के लिए ईरान अन्य पक्षों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है और उन्होंने 8 मई को ऐलान किया कि वह अधिक समय तक इस संधि का सम्मान नहीं कर पाएंगे और तय मात्रा से अधिक संवर्धन यूरेनियम और भारी जल का उत्पादन करेंगे।
व्हाइट हॉउस ने सोमवार कोई कहा था कि “वह ईरान की सरकार पर अत्यधिक दबाव बनाना बरक़रार रखेंगे, जब तक वह अपने शत्रुतापूर्व व्यवहार और परमाणु मंसूबो को खत्म नहीं कर देते हैं।”