ईरान (iran) के राष्ट्रपति हसन रूहानी (hassan rouhani) ने मंगलवार को कहा कि “ईरान किसी राष्ट्र के खिलाफ जंग की शुरुआत नहीं करेगा।” एक दिन पूर्व ही अमेरिका ने मध्य पूर्व में सैनिको की तैनाती का ऐलान किया था। तेहरान और वांशिगटन के बीच मध्य पूर्व में तनाव चरम पर है।
संघर्ष में वृद्धि
बीते हफ्ते गुरूवार को तेल टैंकर पर हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच संघर्ष के आसार काफी बढ़ गए थे। खाड़ी पर टैंकरों के हमले का कसूरवार अमेरिका ने ईरान को ठहराया था जबकि तेहरान ने इन दावों को बेबुनियाद करार दिया था।
रूहानी ने स्टेट टीवी पर प्रसारित भाषण में कहा कि “ईरान किसी भी राष्ट्र के खिलाफ जंग की शुरुआत नहीं करेगा। कम अनुभवी राजनेताओं का समूह हमारा मुकाबला कर रहा है। क्षेत्र में सभी अमेरिकियों के प्रयासों के बावजूद और समूचे विश्व से हमारा नाता तोड़ने की उनकी इच्छा और ईरान को अकेला करने की उनकी मंशा विफल साबित होगी।”
अमेरिका के कार्यकारी रक्षा सचिव पैट्रिक शहयान ने सोमवार को ऐलान किया था कि “वह मध्यपूर्व में करीब एक हज़ार सैनिको की तैनाती के बाबत विचार कर रहे हैं और यह ईरान से आने वाले खतरे के बचाव के इरादे से हैं।”
ईरान की धमकी
ईरान ने सोमवार को कहा कि वह समझौते के प्रातिबद्धताओं से पीछे हटेंगे और परमाणु भंडार में वृद्धि करेंगे। चीनी सरकार के वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ वांग ई ने पत्रकारों से कहा कि बिल्कुल चीन खाड़ी में हालातो को लेकर बेहद चिंतित है और सभी पक्षो से तनाव को कम करने की मांग करता है और संघर्ष की तरफ न बढ़ने का आग्रह करता है।
रियाद ने हाल ही में आरोप लगाया था कि ओमान की खाड़ी पर टैंकरों पर हुए हमले के पीछे ईरान का हाथ है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मौसवी ने बताया कि क्षेत्र में तनाव बढ़ाने की जिम्मेदार रियाद की गलत नीतियां है। जिससे क्षेत्र में तेल की कीमते और संघर्ष के बाबत चिंताएं बढ़ी हैं।